जीआईएस से रोजगार तलाशने में जुटी सरकार

दिलीप झा

राजा भोज नगरी भोपाल में दो दिन 24 और 25 फरवरी को निवेश का उत्सवी रंग दिखा।‌ समिट को सफल बनाने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार ने जबरदस्त उत्साह दिखाया। देश विदेश के उद्योगपतियों ने इसमें भागीदारी सुनिश्चित कर यह आश्वासन भी दिया कि वे भारत मध्य क्षेत्र में स्थित मध्य प्रदेश में निवेश के लिए इच्छुक हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समिट का उद्घाटन कर इसे निवेश का महाकुंभ बना दिया तो गृह मंत्री अमित शाह ने इसका समापन कर इसमें चार चॉंद लगा दिए। कई केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति से यह स्पष्ट हो गया कि पूरे देश में पीएम मोदी युवा पीढ़ी को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री से इस दिशा ठोस रणनीति के साथ योजनाबद्ध तरीके से काम करने के निर्देश दिए हैं।

इन दो दिनों में 26.61 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए जबकि पिछले एक साल में 30.77 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले। वहीं, सरकार का दावा ये है कि प्रस्ताव के जमीन पर उतरने से 17 लाख युवाओं को रोजगार मिल सकते हैं। समिट ने कई रिकॉर्ड भी बनाए। यह भी ध्रुव सत्य है कि मध्य प्रदेश में इससे पूर्व कांग्रेस तो छोड़िए, बीजेपी के शासनकाल में भी इतना बड़ी संख्या में निवेश के प्रस्ताव नहीं आए।समिट के सबसे महत्वपूर्ण बिंदु की बात करें तो दो दिन के निवेश का 36.47 फीसदी सिर्फ रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश के प्रस्ताव आए हैं और विभिन्न कंपनियों ने 8.94 लाख करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव दिए हैं।

लेकिन बताया जा रहा है कि इस समिट की सबसे बड़ी अड़चन यह है कि इसके 78 फीसदी प्रस्ताव के पूरे होने में पांच लग जाएंगे। वहीं, रिन्यूएबल एनर्जी और एमएसएमई के प्रस्ताव को मंजूरी के बाद कम से कम दो साल लगेंगे। इसका मतलब स्पष्ट है कि अफसरशाही की लेटलतीफी और राजनीति इस समिट के प्रस्तावों पर हावी रहेगी। जबकि प्रधानमंत्री मोदी तेज रफ्तार की कार्यप्रणाली के पक्षधर हैं। वे बेरोजगार युवाओं के हाथ में काम देखना चाहते हैं। जाहिर है, जीआईएस को धरातल पर उतारने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने खुद दिन रात एक कर रखा है।‌

उन्होंने समिट में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि हम पूरा सिस्टम सिंगल विंडो करेंगे ताकि आपको कोई परेशानी नहीं आए। हालांकि इस समिट के सफल आयोजन को देखकर कांग्रेस नेताओं के माथे पर जबरदस्त शिकन है क्योंकि उन्हें इस बात का मलाल है कि डबल इंजन सरकार अपने विकास कार्यों से उनका बचा खुचा जनाधार भी न खिसका दे। इसलिए कांग्रेस नेता समिट की आलोचना में यह कह रहे हैं कि उनके शासनकाल में भी निवेश के लिए लाखों करोड़ रुपए के प्रस्ताव आए थे। जबकि हकीकत कुछ और ही है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मध्य प्रदेश में भी बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है क्योंकि सरकारी आंकड़े में 33 लाख युवा पंजीकृत हैं। राज्य सरकार के कई विभागों में भारी रिक्तियां हैं। उन्हें भरने की आवश्यकता है। प्रदेश की जनता ने डबल इंजन सरकार बंपर जीत के साथ बनाई है तो उनकी अपेक्षाओं पर सरकार को खरा उतरना पड़ेगा।

इंदौर निकला निवेश प्रस्ताव लेने में बाजीगर
जीआईएस में इंदौर को बाजीगर कह सकते हैं। इसके पीछे क्या यह मानकर चलें कि सीएम मालवा क्षेत्र से हैं, इसलिए ज्यादा निवेश इंदौर लेकर गए। लेकिन यह निवेश प्रस्ताव की हकीकत नहीं है। निवेश के 85 प्रस्तावों में इंदौर के लिए 27 जबकि राजधानी भोपाल को केवल 16 प्रस्ताव मिले। जबलपुर तीसरे स्थान पर रहा। इससे स्पष्ट है कि निवेशकों की दूरदर्शिता किस ओर इशारा कर रही है।

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