नयी दिल्ली 27 फरवरी (वार्ता) केन्द्र सरकार में प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने अंतरिक्ष विकिरण को अंतरिक्ष अन्वेषण में सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए इससे निपटने की जरूरत पर बल दिया है।
प्रो़ सूद ने गुरूवार को अंतरिक्ष विकिरण, भारी आयनों और मानव अंतरिक्ष मिशनों के जैविक प्रभावों – तंत्र और जैव चिकित्सा प्रतिक्रिया उपायों पर अंतर्राष्ट्रीय रेडियो जीवविज्ञान सम्मेलन को संबोधित किया। तीन दिन के इस सम्मेलन का आयोजन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की यहां स्थित प्रयोगशाला, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) ने किया है।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण में सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक अंतरिक्ष विकिरण का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि यह अंतरिक्ष मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने में इनमास द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
डीआरडीओ के अध्यक्ष डा समीर वी कामत ने कहा कि अंतरिक्ष विकिरण से जुड़ी चुनौतियों के लिए विभिन्न वैज्ञानिक विषयों की विशेषज्ञता को मिलाकर एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन रेडियोबायोलॉजिस्ट, भौतिकविदों, इंजीनियरों और चिकित्सा शोधकर्ताओं के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के अंतःविषय सहयोग के माध्यम से ही हम अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों में अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा के लिए आवश्यक नवीन तकनीकों और समाधानों को विकसित कर सकते हैं।
डॉ. कामत ने कहा कि आधुनिक समय में मानव जाति के लाभ के लिए बाह्य अंतरिक्ष की खोज एक बड़ी आवश्यकता बन गई है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति और चंद्रमा पर मिशन जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जो अंतरिक्ष में जीवन को बनाए रखने की हमारी बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करते हैं। प्रभावी रणनीति और सुरक्षात्मक उपाय विकसित करके, देश अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने में सक्षम होगा, जिससे मंगल और उससे आगे के सफल दीर्घकालिक मिशनों का मार्ग प्रशस्त होगा।
सम्मेलन में “अंतरिक्ष विकिरण के जैविक प्रभाव” के अनुरूप विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
