*छह महीने पहले भाजपा का टिकट न मिलने पर हाथी की सवारी कर ली थी*
ग्वालियर। विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भिंड जिले की रौन विधानसभा से चार बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने रसाल सिंह ने हाथी की सवारी कर ली थी और उन्होंने बसपा ज्वाइन कर ली थी लेकिन मात्र 6 महीने में उनका मोह भंग हो गया और उन्होंने आज बीएसपी से त्यागपत्र दे दिया, कयास लगाये जा रहे हैं कि रसाल सिंह जल्दी ही भाजपा ज्वाइन करेंगे।
नेताओं का दलबदल का सिलसिला पिछले कुछ महीनों में मध्य प्रदेश में दिखाई दे रहा है, पार्टियों में भगदड़ मची हुई है, विधानसभा चुनावों से पहले शुरू हुआ ये सिलसिला लोकसभा चुनावों तक जारी है, लेकिन अब जब उम्मीद पूरी नहीं हो रही तो कुछ नेताओं का नई पार्टियों से मोहभंग हो रहा है ऐसा ही भिंड जिले के पूर्व विधायक के साथ देखने को मिला है।
चार बार विधायक रहे रसाल सिंह को विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं मिला था तो वे नाराज हो गए थे और उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर ली थी उनके साथ उनके सैकड़ों समर्थक भी बीएसपी में चले गए लेकिन अब रसाल सिंह का बीएसपी से मोहभंग हो गया है ।
रसाल सिंह ने मात्र 6 महीने में ही बीएसपी को अलविदा कह दिया, उन्होंने एक सादे कागज पर बीएसपी भिंड जिला अध्यक्ष के नाम इस्तीफा लिखा और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, इस्तीफे में रसाल सिंह ने कि वे व्यक्तिगत कारणों से पार्टी में सक्रिय नहीं हो पा रहे हैं इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं, स्वीकार किया जाये।
यह भी खबर है कि रसाल सिंह के इस्तीफे की स्क्रिप्ट कल पीएम मोदी के मुरैना दौरे के बाद लिखी गई है, चर्चा है कि भिंड लोकसभा सीट पर भाजपा की स्थिति उतनी अच्छी नहीं हैं जितनी दिखाई जा रही है, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसे समझ रहा है और पार्टी छोड़कर गए नेताओं की वापसी पर जोर दे रहा हैं, रसाल सिंह भी पार्टी के सीनियर नेता रहे हैं, वे चार बार विधायक रहे , दो बार चुनाव हारे यानि उन्हें लम्बा राजनीतिक अनुभव है, उनके क्षेत्र में उनका प्रभाव भी है।
भाजपा में वापसी की चर्चाएँ
माना जा रहा है कि भाजपा के कहने पर ही रसाल सिंह ने बीएसपी से इस्तीफा दिया है, उनके करीबियों की माने तो उन्होंने व्यक्तिगत कारणों के चलते बीएसपी छोड़ी है अब वे भाजपा में वापसी करेंगे या फिर कोई दूसरी पार्टी ज्वाइन करेंगे एय एक दो दिन में पता चल जायेगा, बहरहाल रसाल सिंह के लोकसभा चुनाव के बीच बीएसपी छोड़ने से पार्टी को झटका जरुर लगा है।