नयी दिल्ली, 24 फरवरी (वार्ता) भारत के जी-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने आज कहा कि भारत की 30 ट्रिलियन डॉलर ( 30 लाख करोड़ डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा के लिए जल सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
श्री कांत ने फिक्की के 10वें इंडिया इंडस्ट्री वाटर कॉन्क्लेव और फिक्की वाटर अवार्ड्स में कहा कि जल सुरक्षा की चुनौतियां इसके महत्वाकांक्षी आर्थिक विकास लक्ष्यों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने भारत की आबादी और जल संसाधनों के बीच भारी असमानता का उल्लेख करते हुये कहा कि देश में वैश्विक आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा रहता है, लेकिन दुनिया के मीठे पानी के संसाधनों के केवल 4 प्रतिशत तक ही इसकी पहुंच है। यह असंतुलन इस तथ्य से और भी बढ़ जाता है कि वर्तमान में 75 प्रतिशत भारतीय घरों में पीने के पानी की पहुंच नहीं है।
श्री कांत ने कहा, “ भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता मूल रूप से पानी की वजह से है। पर्यावरणीय रूप से संधारणीय तरीके से विकास करने और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की हमारी क्षमता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि हम इस महत्वपूर्ण संसाधन का प्रबंधन कैसे करते हैं।”
उन्होंने तीन प्रमुख समाधान बताए जिसमें स्थानीय जल निकायों को बहाल करना, वास्तविक समय की निगरानी के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करना और समुदाय आधारित जल प्रबंधन शामिल है। श्री कांत ने उद्योग को जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करते हुये कहा, “ उद्योग को पानी के पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग में अग्रणी होना चाहिए, सर्वोत्तम तकनीक और क्षमताएं लानी चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा कि भारत जल सुरक्षित बने।”