नयी दिल्ली 24 फरवरी (वार्ता) भारतीय रेलवे देश में हेलीकॉप्टर की तरह से वर्टिकल उड़ान भरने वाले विमानों के विकास के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोध छात्रों को वित्तीय मदद प्रदान करेगी। रेलवे ने हाइपरलूप तकनीक पर आधारित परिवहन प्रणाली विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास को अब तक बीस लाख डॉलर की मदद दी है और आगे दस लाख डाॅलर की मदद और देने की घोषणा की है।
रेल, सूचना प्रसारण, इलैक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज यहां रेल मंत्रालय से वीडियो लिंक के माध्यम से चेन्नई में आईआईटी मद्रास के रिसर्च पार्क में आयोजित वैश्विक हाइपरलूप प्रतियोगिता के समापन समारोह में शिरकत की और अवॉर्ड पाने वाले छात्रों एवं टीमों की हौसला अफज़ाही की। इस मौके पर आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. कामकोटि वीज़ीनाथन रेल मंत्रालय में मौजूद थे। तीन दिवसीय प्रतियोगिता कार्यक्रम में 300 से अधिक छात्र छात्राओं की 10 टीमों ने भाग लिया।
रेल मंत्री श्री वैष्णव ने इस मौके पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह उनके लिए एवं देश के लिए बहुत प्रसन्नता का अवसर है जब हमारे युवाओं ने अपने कौशल एवं बुद्धिमत्ता से परिवहन क्षेत्र में नये नये समाधान एवं अविष्कार से समाज को लाभान्वित किया है। आईआईटी मद्रास ने 5जी का मॉडल दिया जिससे देश में 5जी का सबसे तेज गति से कार्यान्वयन संभव हो पाया। अकादमिक जगत एवं उद्योग जगत के बीच सहयोग से माइक्रोचिप एवं सेमीकंडक्टर के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।
श्री वैष्णव ने कहा कि आईआईटी मद्रास को हाइपरलूप तकनीक के विकास के लिए दस दस लाख डॉलर की अनुदान राशि दो बार दी गयी हैं और उसका सकारात्मक परिणाम सबके सामने हैं। इस मौके पर वह दस लाख डॉलर की तीसरी किश्त देने की घोषणा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी मद्रास के अविष्कार टीम के सदस्यों ने 422 मीटर का हाइपरलूप बना कर उसमें परिवहन की प्रणालियाें एवं उप प्रणालियों का विकास किया है जो आने वाले समय में माल एवं यात्री परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व के कारण सभी ओर खासकर युवाओं की सोच में बदलाव आया है और यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि या संपत्ति है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का फोकस नवान्वेषण एवं समन्वयन के माध्यम से आगे बढ़ने पर है। इस प्रेरणा से चलते हुए हाइपरलूप का विकास एक क्रांतिकारी समाधान है। हम अपनी युवा शक्ति के ज्ञान एवं कौशल के इस प्रदर्शन से अभिभूत हैं।
हाइपरलूप परिवहन प्रणाली की गतिसीमा के बारे में पूछे जाने पर श्री वैष्णव ने कहा कि अभी इसमें 40 से 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति का परीक्षण किया गया है। इस प्रणाली के पूर्ण रूप से विकसित होने पर 200 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक की गति होने की आशा है।
श्री वैष्णव ने कहा कि वह एक नयी जानकारी साझा करना चाहते हैं कि भारतीय रेलवे वर्टिकल टेक ऑफ एंड लैंडिंग वाले विमानों के विकास के लिए भी आईआईटी मद्रास को शोध सहायता प्रदान करेगा। वर्टिकल टेक ऑफ एंड लैंडिंग वाले विमानों का विकास दुर्गम इलाकों में अंतिम छोर तक परिवहन सुविधा मुहैया करने में महत्वपूर्ण होगा।
एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे ना सिर्फ रेल प्रणाली बल्कि कनेक्टिविटी के लिए ऐसी हर नयी प्रणाली के नवान्वेषण के लिए सहायता प्रदान करेगा चाहे वह हाइपरलूप हो, वर्टिकल टेक ऑफ एंड लैंडिंग वाले विमान हाें या एआई जिससे पारंपरिक विकल्पों के बजाय नये तकनीकी एवं प्रभावी विकल्प उभरें।
बाद में प्रो. कामकोटि वीज़ीनाथन ने कहा कि हाइपरलूप बंदरगाहों से औद्योगिक केन्द्रों, हवाईअड्डों से शहरों के प्रमुख स्थानों को जोड़ने के लिए कारगर परिवहन साधन के रूप में देखा जा रहा है। आरंभ में 40 से 50 किलोमीटर या 100 किलोमीटर तक इसे उपयोग किये जाने की योजना है।