दोनों नाबालिक बच्चे बिना टारगेट की मंजिल 500 किमी दूर निकले, खंडवा से उन्हें बैरंग भेजा गया
खंडवा। टीनएजर्स मोबाइल की गिरफ्त में बुरी तरह फंस चुके हैं ।दुष्परिणाम सार्वजनिक होने लगे हैं। एक नाबालिक से मां ने मोबाइल छीना। रील देखने से मना किया, तो बच्ची को इतना गुस्सा आया कि वह घर से दनदनाते हुए पैदल निकल पड़ी।
दोनों 500 किमी दूर आ गए
12 किलोमीटर चलने के बाद उसने अपने दोस्त को बुलाया। दोस्त भी नाबालिग है। दोनों बिना टिकट रेल में बैठे। लगभग 500 किलोमीटर से ज्यादा दूर निकल आ गए। मामला मध्यप्रदेश की के आखिरी छोर रीवा जिले का है। खंडवा आरपीएफ को यह बच्चे मिले हैं। टीसी ने टिकट मांगा, तो विदाउट थे। उनकी स्थिति देखकर आरपीएफ भी माजरा समझ गई।
बिना टारगेट की मंजिल
इन्हें खंडवा उतार लिया गया। बाल न्यायालय ने काउंसलिंग करवाई। इसमें पता चला कि दोनों बच्चे नाबालिग हैं। वे कहां जा रहे हैं,उन्हें भी नहीं पता! बिना टारगेट की मंजिल खतरनाक होती है। वे वर्दी वालों की पहुंच में थे, इसलिए सुरक्षित घर पहुंचा दिए गए।
रीवा जिले के हैं दोनों नाबालिक
कहानी यह है, कि बाल न्यायालय की काउंसलिंग में रीवा जिले के एक गांव तक मामला पहुंचा। खंडवा के प्रयासों द्वारा वहां की पुलिस बच्ची के घर पहुंची। वहां भी परिजन परेशान थे ।बाल न्यायालय खंडवा में छानबीन भी हुई। परिजनों को खंडवा बुला लिया गया । पुलिस के वहां से महिला और पुरुष पुलिसकर्मी साधारण वर्दी में खंडवा पहुंचे। पूरी प्रक्रिया के बाद इन्हें दोनों बच्चे सौंप दिए गए।
प्रभावित हो रहे, बच्चों के कच्चे मन!
बात जरा सी है, लेकिन गंभीर लगती है। मोबाइल देखने की लत ड्रग एडिक्ट से भी घातक रुख अख्तियार कर रही है। बाल न्यायालय खंडवा के पदाधिकारी को भी कहना पड़ रहा है कि, यह खतरनाक मोड लगभग हर घर में है, जहां टीनएजर्स रहते हैं । बच्चों को मोबाइल के सोशल मीडिया से दूर रखें। इन बच्चों के कच्चे मन जल्दी प्रभावित हो रहे हैं । इससे समाज पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । ऐसी स्थिति से बचाना फलों का बड़ा कर्तव्य हो जाता है।