नयी दिल्ली, 17 फरवरी (वार्ता) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) वी रामसुब्रमण्यन ने सोमवार को कहा कि भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों पर विकास की जरूरतों और वन संरक्षण की अनिवार्यता के बीच संतुलन बनाने की जिम्मेदारी है, जो चुनौतीपूर्ण हैं।
न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने राजधानी में एनएचआरसी की ओर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून के 14वें – मध्य कैरियर पाठ्यक्रम (तृतीय चरण) के भाग के रूप में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों के लिए आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित किया।
उन्होंने कहा,“आईएफएस अधिकारियों की पहली प्राथमिकताओं में से देश की प्राकृतिक विरासत की सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करना है। वे विकास की जरूरतों और संरक्षण की अनिवार्यता के बीच संतुलन बनाने का चुनौतीपूर्ण कार्य करते हैं।”
न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने कहा कि अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन करने के लिए, आईएफएस अधिकारियों को वन कानून के ऐतिहासिक संदर्भ, उभरती चुनौतियों और कानून, नीति तथा प्रवर्तन के बीच अंतर्सम्बन्ध को समझने की आवश्यकता है।
महासचिव भरत लाल ने कहा,“मानव अधिकार सबसे बुनियादी जरूरत है और हमें सभी के अधिकारों, खासकर हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों के संरक्षण के लिए उन पर विश्वास करना होगा।” उन्होंने भारतीय संविधान में निहित मानव अधिकार सिद्धांतों, विशेष रूप से अनुच्छेद 32 के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को रेखांकित भी किया।