*अपहर्ताओं का दूसरे दिन भी नहीं लगा कोई सुराग, पुलिस ने कहा जल्द पकड़ लेंगे*
ग्वालियर। बालक शिवाय गुप्ता के अपहर्ताओं का दूसरे दिन भी पुलिस कोई सुराग नहीं लगा सकी। पुलिस ने कहा है कि जल्द ही बदमाशों को पकड़ लेंगे।
कल सुबह जिसने भी यह सुना कि सीपी कॉलोनी मुरार से एक 6 साल के मासूम बच्चे का किडनैप हो गया है, उसके दिल से यही बात निकली कि बच्चा सुरक्षित घर लौट आए। शहर में व्हाट्सएप, फेसबुक पर इस घटना की खबरें वायरल होने लगी। मुरार में व्यापारियों ने तुरंत बाजार बंद का आह्वान किया और लोगों ने भी अपनी दुकान बंद कर दी। सोशल मीडिया पर लोग जमकर अपना गुस्सा निकाल रहे थे और साथ-साथ घर-घर में बच्चें की सलामती के लिए दुआए भी की जा रही थी। बच्चें के माता-पिता का रो रो कर बुरा हाल था। पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों से लेकर मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री तक घटना पर पल-पल नजर रखे हुए थे।
हर जगह पर पुलिस निगरानी की बात कह रही थी लेकिन बावजूद इसके किडनैपर बच्चें को लेकर ग्वालियर से लेकर मुरैना तक पहुंच गए और फिर मुरैना में एक ईट भट्टे के पास उसे छोड़कर चले गए। मासूम बच्चा पास के एक घर में पहुंचा जहां उसे घर में रहने वाले परिवार ने सांत्वना दी और पुलिस को फोन किया। बच्चें के मिलने की सूचना पाकर बच्चें के परिजन खुश हो गए। पुलिस प्रशासन तुरंत मुरैना पहुंचा। स्वयं एडिशनल अमित सांघी अपनी गोद में बच्चें को लेकर माता-पिता के पास पहुंचे। अपने ननिहाल को सकुशल देख बाकी आंखों में आंसू झलक आए लेकिन यह आंसू खुशी के थे। ढोल नगाड़ों के साथ बच्चें के आने की खुशी में पूरे मोहल्ले में जश्न का माहौल नजर आया। हर किसी को लग रहा था कि उसकी दुआ को कुबूल हो गई। लेकिन बच्चें के मिलने के बाद शहर में एक अलग तरह की बातचीत शुरू हो गई ।
कुछ लोग जहां बच्चे के सकुशल घर पहुंचने को पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी मानकर पीठ थपथपा रहे हैं, वही कुछ लोग इसे पुलिस की कामयाबी नहीं बल्कि सोशल पावर की ताकत बता रहे हैं।
नवभारत ने ऐसे लोगों से बातचीत की…
यह पुलिस प्रशासन की सफलता नहीं है बल्कि सोशल मीडिया और आम जनता ने जिस एकता व तत्परता का परिचय दिया उसका परिणाम है कि बदमाशों के ऊपर प्रेशर पड़ा और वह बच्चे को छोड़कर भाग गए। पुलिस की सफलता तब मानी जाती है जब पुलिस स्वयं बदमाशों से बच्चे को छुड़ाती।
*बलवीर गुर्जर, ठेकेदार
2 महीने हो गए एफआइआर कराए,अभी तक पुलिस ने मेरी बाइक नहीं ढूंढी। कहते हैं तुम्हें चोर का पता चल जाए तो बता देना, ले आएंगे ऐसी पुलिस से बदमाशों को प्रोत्साहन मिलता है और इस तरह की घटनाएं अंजाम में आती है अगर एक बाइक चोरी की घटना को भी इसी तथपरता के साथ पुलिस प्रशासन एक्शन में ले तो इतनी बड़ी घटना के बारे में कोई सोचेगा भी नहीं।
*दीपेश पाराशर, प्राइवेट कर्मचारी
जो पुलिस मोबाइल और बाइक नहीं ढूंढ पाती वह किडनैप करने वाले बदमाशों को क्या ढूंढ पाती? वह तो बदमाश खुद ही बच्चे को छोड़ गए, जिस घर से पुलिस बच्चों को लाई है वहां से तो कोई भी लेकर आ जाता। मैं इसे पुलिस की सफलता बिल्कुल नहीं मानता। पुलिस ने कुछ किया में उस दिन मानूगा जिस दिन वह बदमाशों को पकड़ लेगी। गरीमती यह है कि बच्चा सलामत है।
*डॉ अरुण शर्मा, समाजसेवी
बच्चे के आने की खुशी में हमने पुलिस जिंदाबाद के नारे लगाए थे लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इस पूरे केस में सोशल मीडिया का पावर और सभी समाज के लोगों की एकता के चलते जो माहौल बना उसे देखकर किडनैपर भयभीत हो गए और अपने एनकाउंटर के डर से बच्चें को छोड़कर भाग गए। आईजी,एसपी, कलेक्टर सभी बड़े अधिकारी घटनास्थल पर रहे इससे बहुत प्रभाव पड़ा। हर व्यक्ति ने उस बच्चें को अपना बच्चा माना और उसके लिए ईश्वर से दुआ की।
राजा चौहान, समाजसेवी
पुलिस ने तत्परता के साथ बच्चे को सुरक्षित घर पहुंचाया इसके लिए मैं पुलिस को बधाई देना चाहता हूं। पुलिस अगर इसी तरह से कम करें तो हर कोई पुलिस की जय जयकार करेगा।
*उमाकांत सोनी
*अपहरण की पूरी कहानी मासूम बच्चे की जुबानी*
अपने किडनैप की कहानी मासूम बच्चें ने खुद ऐसे बयान की,
मैं अपनी मम्मी के साथ स्कूल की बस के लिए घर से निकला था। रास्ते में दो बदमाशों ने मेरी मां की आंख में मिर्ची झोंक दी, मेरी आंख में भी मिर्ची लगी लेकिन मां की आंख में ज्यादा, उन लोगों ने मुझे बाइक पर बिठाया और मुझे चुप रहने के लिए कहा. मैंने उनसे पूछा अंकल आप मुझे कहां लेकर जा रहे हो, उन्होंने कहा चुप रहो, नहीं तो हम तुम्हें मार देंगे। दो लोग थे जो बाइक पर लेकर मुझे गए थे लेकिन वह लोग मुझे एक घर में लेकर गए वहां पर एक व्यक्ति और था। बाइक वाले मुझे बाहर छोड़कर चले गए। उन्होंने मुझसे चॉकलेट और बिस्किट खाने के लिए भी पूछा था लेकिन मैंने नहीं खाया। जब बच्चे से पूछा गया कि क्यों नहीं खाया आपको भूख नहीं लगी थी तो उसने कहा भूख तो लगी थी लेकिन उसमें जहर हो सकता था। इसलिए मैंने नहीं खाया। बच्चें ने बताया कि उसे रस्सी से भी बांधा गया था। वो लोग पापा से पैसे लेने की बात कह रहे थे। पूछा कितने ? तो बच्चे ने बताया डेढ़ लाख रुपए लेने की बोल रहे थे। फिर वो दोंनो उसे एक घर के पास छोड़कर भाग गए।
*शिवाय की सुरक्षित वापसी: सामाजिक संगठनों ने किया आईजी का अभिनंदन*
शहर के विभिन्न सामाजिक, धार्मिक संगठनों व व्यापारी संस्थाओं के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को सामाजिक समरसता मंच के अध्यक्ष आशीष प्रताप सिंह राठौड़ के संयोजन में ग्वालियर जोन के आईजी अरविंद सक्सेना से उनके कार्यालय में भेंटकर शिवाय गुप्ता की बदमाशों के चंगुल से सकुशल व सुरक्षित वापसी पर सभी ग्वालियरवासियों की ओर से पुलिस प्रशासन के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। सामाजिक संगठनों ने कहा कि ग्वालियर के पुलिस प्रशासन ने इस संकट और चुनौतीपूर्ण स्थिति में अपनी कार्यक्षमता एवं हर कीमत पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।