नयी दिल्ली 02 फरवरी (वार्ता) इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) ने केंद्रीय बजट को साहसिक, समावेशी और विकासोन्मुखी बताया और कहा कि उच्च सार्वजनिक निवेश से निजी क्षेत्र के निवेश को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
ईईपीसी के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने रविवार को बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सरकार ने बजट में बुनियादी ढांचे के विकास पर अपना ध्यान केंद्रित रखा है और इसके लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय निर्धारित किया है। उच्च सार्वजनिक निवेश से निजी क्षेत्र के निवेश को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग निर्यात क्षेत्र के लिए निर्यात संवर्धन मिशन और भारत ट्रेडनेट की शुरूआत से अनुपालन बोझ कम होगा और रसद दक्षता में सुधार आएगा, जिससे निर्यातकों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा एमएसएमई को समर्थन देने के लिए क्रेडिट गारंटी विस्तार और ईवी उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों पर सीमा शुल्क सुधार किए गए हैं, जिससे इनपुट लागत घटेगी और लागत प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
श्री चड्ढा ने कहा कि हालांकि कुछ मुद्दे अभी भी चिंता का विषय बने हुए हैं। ब्याज समानीकरण योजना पर किसी अपडेट की अनुपस्थिति निर्यात ऋण को महंगा बना सकती है। साथ ही निर्यात संवर्धन गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता की कमी, प्रमुख बाजारों में ऊंची रसद लागत और गैर-टैरिफ बाधाओं से निपटने की जरूरत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग सामान क्षेत्र के विभिन्न उप-क्षेत्रों को बजट से लाभ मिलेगा, क्योंकि भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने के लिए कई योजनाएं, प्रोत्साहन और व्यापार सुविधा उपाय घोषित किए गए हैं। मेक इन इंडिया पहल के तहत एक नया विनिर्माण मिशन शुरू किया गया है, जो छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को व्यापक नीति समर्थन और विस्तृत रूपरेखा के माध्यम से सहयोग प्रदान करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य सौर पीवी सेल, इलेक्ट्रोलाइजर और ग्रिड-स्केल बैटरियों के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसएमई की निवेश और टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और दो गुना बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे यह क्षेत्र नवाचार को प्रोत्साहित करने और अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने में सक्षम होगा।