चंडीगढ़ मेयर चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश जयश्री ठाकुर को स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त किया

नयी दिल्ली, 27 जनवरी (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने 30 जनवरी को होने वाले चंडीगढ़ मेयर के चुनाव ‘स्वतंत्र एवं निष्पक्ष’ तरीके से संपन्न कराने के लिए सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयश्री ठाकुर को स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त किया।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मेयर कुलदीप कुमार की याचिका पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हम इस संबंध में स्पष्ट कर सकते हैं कि इस न्यायालय को अधिकारियों की निष्पक्षता, स्वतंत्रता या निष्पक्षता पर कोई संदेह नहीं है। याचिकाकर्ता द्वारा हालांकि व्यक्त की गई आशंका को ध्यान में रखते हुए एक स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया था।”

पीठ ने कहा कि पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ठाकुर को स्वतंत्र पर्यवेक्षक नामित करने के लिए वर्तमान मेयर कुलदीप कुमार तथा चंडीगढ़ नगर निगम ने सहमति दे दी।

पीठ ने कहा, “हम न्यायमूर्ति ठाकुर को स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त करना उचित समझते हैं। चुनाव कार्यवाही पर्यवेक्षक की उपस्थिति में ही संचालित की जाएगी। चुनाव कार्यवाही की विधिवत वीडियोग्राफी की जाएगी।”

शीर्ष अदालत ने निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि वे स्वतंत्र पर्यवेक्षक से संपर्क करें तथा चुनाव की निर्धारित तिथि से पहले ही उसके साथ समन्वय स्थापित करें।

चंडीगढ़ के मेयर कुमार ने मतदान प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए ‘गुप्त मतदान’ के बजाय ‘हाथ उठाकर मतदान’ करने का निर्देश देने की मांग करते हुए इस याचिका के जरिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

उन्होंने 20 फरवरी तक चुनाव स्थगित करने से उच्च न्यायालय के इनकार के बाद शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। उनका दावा था कि उस तारीख को उनका वास्तविक कार्यकाल पूरा हो जाएगा।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए निर्धारित तिथि पर होने वाले मतदान की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त करने का निर्णय लिया।

शीर्ष अदालत ने 20 फरवरी 2024 को विवादास्पद मतदान के परिणाम को पलटते हुए पराजित आम आदमी पार्टी -कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को मेयर घोषित किया था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार अप्रत्याशित विजेता के रूप में उभरे थे।

शीर्ष अदालत ने तब कई दिनों की सुनवाई के बाद पूर्व रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ ‘गंभीर कदाचार’ का मुकदमा चलाने का भी आदेश दिया था।

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