मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पत्र लिखकर मांगी माफी
जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के शासकीय बंगले में बने प्राचीन हनुमान मंदिर को तोडे जाने का आरोप लगाते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर की तरफ से राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,कानून मंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य व्यक्तियों से शिकायत की गयी थी। एसोसिएशन ने अध्यक्ष ने पत्र लिखकर आरोप पर खेद व्यक्त किया है। उन्होंने पत्र मे लिखा है कि भ्रम की स्थिति निर्मित होने के कारण उन्होंने शिकायत की थी। उन्होने पत्र में चीफ जस्टिस के प्रति सम्मान व्यक्त किया है।
गौरतलब है कि प्रदेश के पुलिस थाने में धार्मिक स्थल का निर्माण किये जाने के खिलाफ एक अधिवक्ता की तरफ से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी। जिसमें कहा गया था कि पुलिस थाना परिसर सार्वजनिक स्थल है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली युगल पीठ ने याचिका की सूचना करते हुए सरकार को निर्देशित किया था कि प्रदेश के कितने थानों में धार्मिक स्थलों का निर्माण किया गया है और किसके आदेश पर हुआ है,इसकी जानकारी पेश करने के आदेश जारी किए थे। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने याचिका में इंटर विनर बनने का आवेदन दायर किया था।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तथा कानून मंत्री को एक पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि एसोसिएशन को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के शासकीय बंगले में स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़े जाने की शिकायत प्राप्त हुई है। जिससे अधिवक्ता संघ तथा आम लोग में दुख व आक्रोष व्याप्त है। पूर्व में पदस्थ चीफ जस्टिस प्राचीन मंदिर में पूजा पाठ कर दैनिक कार्य प्रारंभ करते थे। दूसरे वर्ग के चीफ जस्टिस की नियुक्ति होने के बावजूद भी कर्मचारियों के द्वारा मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती थी। शासन की बिना अनुमति तथा वैधानिक आदेश पारित किये बिना मंदिर से छेड़छाड़ करते हुए उसे नष्ट कर देश की बहुसंख्यक सनातन प्रेमी जनता को अपमानित करने के साथ-साथ शासकीय संपत्ति का विरूपण किया गया है। पत्र में उच्च स्तरीय जांच की मांग करी गयी थी। हाईकोर्ट प्रशासन की तरफ से उक्त आरोपों का खंडन किया गया था।