चीनी वायरस : सटीक जानकारी उपलब्ध हो !

देश में इन दोनों एक चीनी वायरस की चर्चा है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह कोविड जैसा ही है. हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और अनेक विशेषज्ञों ने कहा है कि यह वायरस कोविड से मिलता-जुलता जरूर है लेकिन भारत में पहले से ही है इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. दरअसल इसके लक्षण कोविड जैसे हैं. इस कारण से एक बार फिर भय का वातावरण हो गया है लेकिन सरकार ने कहा है कि डरने की जरूरत नहीं है. हालांकि इसके बावजूद वायरस की चर्चा थमी नहीं है. कहा जा रहा है कि चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस अथवा उसके जैसा ही खतरनाक, जानलेवा वायरस फैला है? और चीन खामोश है? क्या चीन इस बार भी संक्रमण के विस्फोट और विस्तार को छिपाए रखेगा ? जब चीन ने 2019 – 20 की महामारी की जिम्मेदारी नहीं ली तो फिर वह इस वायरस की जिम्मेदारी कैसे लेगा ? बहरहाल, केंद्र सरकार का दावा है कि ‘नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) देश में सांस और मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों पर करीबी नजर रखे है.संयुक्त निगरानी समिति जांच कर रही है कि देश पर किसी तरह के वायरस का प्रभाव शुरू हुआ है या

नहीं ! अलबत्ता जनता को आश्वस्त किया जा रहा है कि फिलहाल चिंता और दहशत की स्थिति नहीं है. दरअसल,चीन में ‘ह्यूमन मेटापन्यूमो वायरस’ (एचएमपीवी) के संक्रमण फैलने की खबर ही पुष्टि हुई है . टीवी चैनलों पर कुछ वीडियो सार्वजनिक हुए हैं, जिनमें चीन के अस्पताल खचाखच भरे दिखाई दे रहे हैं.भीड़ का सैलाब उमड़ा है.लोगों ने मास्क पहने हुए हैं.ऐसी भी सूचनाएं सार्वजनिक हुई हैं कि चीन में वायरस से मौतों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक कोई भी आंकड़ा घोषित या सत्यापित नहीं किया गया है.चीन सरकार इस बार भी खामोश है.चीन ने अपने यहां फ्लू के बड़े प्रकोप की खबरों को खारिज किया है.उसका यह रवैया नवंबर, 2019 में भी लगभग यही था, जब कोरोना वायरस का पहला केस, चीन के ही वुहान शहर में, सामने आया था.तब उसे ‘रहस्यमयी निमोनिया’ करार दिया गया था.

चीन खुद को एक किले में बंद रखता आया है. वहां सामान्य मीडिया, सोशल मीडिया ही नहीं, लोगों पर भी पाबंदियां हैं कि वे किसी भी तरह की सूचना को सार्वजनिक नहीं कर सकते. जो कहना है, वह चीन सरकार ही कहेगी. वहां जो वायरस फैला है, उसके लक्षण भी कोरोना सरीखे ही है. लोगों में तेज बुखार देखा जा रहा है.फेफड़ों में संक्रमण और सांस लेने में परेशानी की खबरें भी आई हैं, लेकिन चीन में इस वायरस का प्रभाव कुछ अलग देखा जा रहा है कि संक्रमण 5 साल की उम्र से छोटे बच्चों में फैल रहा है. कोरोना संक्रमण से बच्चे प्रभावित नहीं हुए थे. उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता जन्म से ही मजबूत आंकी गई थी.कोरोना संक्रमण के शिकार बड़ी उम्र के लोग और अधिकतर बुजुर्ग लोग ही हुए. चीन ने अभी तक सांस संबंधी सामान्य संक्रमण को ही स्वीकार किया है.दरअसल, अब यह दायित्व विश्व स्वास्थ्य संगठन का है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट करे कि चीन में कोरोना सरीखे वायरस की मौजूदा स्थिति क्या है ?

यह संतोषजनक है कि केंद्र सरकार सतर्क है लेकिन राज्य सरकारों को भी अपने स्तर पर सतर्कता रखनी होगी. सरकारी अस्पतालों और विशेषज्ञ डॉक्टरों को इस संबंध में तैयार रखना होगा तथा जनता में जागरूकता फैलाने का प्रयास करना होगा. जनता को भी चाहिए कि सतर्कता रखें और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनकर ही जाए.

 

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