अम्बेडकर के नाम पर राजनीति गरमाई

दिल्ली डायरी

प्रवेश कुमार मिश्र

राज्यसभा में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के संदर्भ में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान को आधार बनाकर विपक्षी दलों ने भाजपा के खिलाफ मोर्चाबंदी आरंभ कर दी है. संसद से सड़क तक इस मुद्दे को लेकर बहस व विरोध प्रदर्शन का सहारा लेकर कांग्रेस पार्टी समेत कई विपक्षी दलों के रणनीतिकारों ने एक खास वोट बैंक को साधने की रणनीति बनाई है. दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा ने दिल्ली चुनाव के पहले एक बड़ा मुद्दा विपक्षी दलों के हाथ में दे दिया है जिसके कारण भाजपाई रणनीतिकार भी परेशान हैं. हालांकि भाजपा की ओर से इस विषय पर स्पष्टीकरण दिया गया है लेकिन कांग्रेस इस विषय पर जिला व ब्लाक स्तर पर चर्चा कराकर दूर की राजनीति कर रही है.

प्रदर्शन व गुत्थमगुत्था के भेंट चढ़ा शीतकालीन सत्र

संसद का शीतकालीन सत्र के आरंभिक दिनों से ही विभिन्न मुद्दों को आधार बनाकर विपक्षी दलों द्वारा संसद भवन परिसर में ही विरोध प्रदर्शन किया जाता रहा लेकिन अंतिम समय में यह विवाद इतना गहरा गया कि पक्ष व विपक्ष आमने-सामने आकर आक्रामक अंदाज में गुत्थमगुत्था पर उतारू हो गए. धक्के के कारण दो सांसद घायल हुए और भाजपा सांसदों की ओर से विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर एफआईआर भी दर्ज की गई है. हालांकि वन नेशन वन इलेक्शन जैसे बहुप्रतीक्षित विधेयक को पेश कर सरकार द्वारा इस सत्र को यादगार बनाने का प्रयास किया गया लेकिन माननीय लोगों के आचरण को लेकर चौतरफा चर्चा हो रही है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले घोषणाओं की झड़ी

दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की सरकार लगातार लोकलुभावन घोषणाओं के सहारे मतदाताओं को भावनात्मक रूप से अपने पक्ष में करने की तैयारी में है जबकि भाजपा व कांग्रेस के नेता आप सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल को आधार बनाकर पोस्ट वार आरंभ कर रहे हैं. सोशल मीडिया से लेकर दिल्ली के सड़कों तक आरोप प्रत्यारोप का पोस्टर सार्वजनिक हो गया है. हालांकि कांग्रेस व भाजपा नेता भी आम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए बहुस्तरीय घोषणा कर रहे हैं. ऐसे में अब आम मतदाताओं समेत सबकी निगाहें चुनावी घोषणापत्र के औपचारिक एलान पर लगी हुई है.

फिर नीतीश के अगुवाई में बिहार चुनाव में उतरेगी राजग

पिछले कुछ दिनों से बिहार में राजग दलों के बीच विधानसभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर अलग-अलग बयान दिया जा रहा था जिसके कारण माना जाने लगा था कि 2025 विधानसभा चुनाव में राजग का नेतृत्व नीतीश कुमार नहीं करेंगे. लेकिन आपसी असंतोष को ध्यान में रखते हुए भाजपा नेतृत्व ने बिहार के नेताओं को बयानबाजी से बचने का स्पष्ट निर्देश दिया था. इस बीच जदयू की ओर बढ़ते दबाव को देखते हुए भाजपा ने औपचारिक रूप ऐलान किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार का चेहरा ही राजग समूह की ओर आगे रहेगा.

जातिगत समीकरण को आधार बनाएंगे कई दल

कांग्रेस समेत विभिन्न दलों द्वारा जिस तरह से जातिगत जनगणना की बात की जा रही है उसको ध्यान में रखते हुए कहा जा रहा है कि कुछ दलों के अंदर अब चुनावी टिकट देने का आधार जातिगत आधार बनेगा. बिहार में राजद व जनसुराज जैसे दलों की ओर से इस संदर्भ में औपचारिक घोषणा भी की जा चुकी हैं. ऐसे में बदलते राजनीतिक मिजाज को लेकर चर्चा हो रही है

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