अब तक 11 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में
नवभारत न्यूज
इंदौर. क्राइम ब्रांच की विशेष टीम ने ऑनलाइन ठगी के एक बड़े मामले में मध्यप्रदेश के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस प्रकरण में अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. गिरफ्तार आरोपियों पर 1 करोड़ 60 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी में शामिल होने का आरोप है. जो इन ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों से की थी. क्राईम ब्रांच ने देश के विभिन्न राज्यों में सक्रिय अंतरराज्यीय ठग गैंग का खुलासा किया था.
क्राईम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि शहर में रहने वाली एक 59 वर्षीय महिला फरियादिया ने एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी कि ठगों ने उन्हें स्काइप और व्हाट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से सीबीआई, आरबीआई और पुलिस का अधिकारी बनकर मनी लॉन्ड्रिंग के फर्जी केस में जेल जाने का डर दिखाया. आरोपियों ने फरियादिया की निजी एवं बैंकिंग जानकारी हासिल कर, उनके बैंक खाते, एफडी और शेयर्स की जांच के नाम पर कुल 1.60 करोड़ रुपए ठग लिए थे. इस मामले में क्राईम ब्रांच ने सबसे पहले गुजरात के सूरत के साथ ही अन्य राज्यों से सात आरोपियों प्रतीक जरीवाला, अभिषेक जरीवाला, चंद्रभान बंसल, राकेश कुमार बंसल, विवेक रंजन उर्फ पिंटू गिरी (जिला खेड़ा, गुजरात), अल्ताफ कुरैशी (जिला आनंद, गुजरात),अभिषेक चक्रवर्ती (कूचबिहार, पश्चिम बंगाल)को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी. विशेष टीम ने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर आरोपियों को पकडऩे के लिए विशेष अभियान चलाया. वहीं पकड़े गए आरोपियों का रिमांड लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है. आरोपियों से और भी कई खुलासे होने की संभावना है.
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नए आरोपी और उनका नेटवर्क
दंडोतिया ने बताया कि आरोपियों से की गई पूछताछ और तकनीकी जांच के आधार पर मध्यप्रदेश के चार और आरोपियों रोहन शाक्य और आयुष राठौर दोनों ही सीहोर के रहने वालों के साथ, भोपाल के निलेश गोरेले और अभिषेक त्रिपाठी को भी गिरफ्तार कर लिया है.
रकम के रोटेशन का तरीका
दंडोतिया ने बताया कि आरोपियों द्वारा रकम के रोटेशन का तरीका इस प्रकार था कि सीहोर में रहने वाले रोहन शाक्य फर्नीचर का काम करता था और उसने बैंक ऑफ महाराष्ट्रा में अपना खाता खुलवाया, इसके बाद रोहन ने कमीशन पर यही खाता आयुष राठौर को दिया, फिर आयुष राठौर ने इसी खाते को निलेश गोरेले को सौंप दिया. निलेश ने खाता अभिषेक त्रिपाठी को दिया, जिसने इसे आगे अन्य राज्यों में सक्रिय गैंग के सदस्यों तक पहुंचा दिया. पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे डिजिटल अरेस्ट ऑनलाइन ठगी गैंग के लिए काम कर रहे थे. उनका काम ठगी के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराना और इन खातों में ठगी के पैसे को रूट कराना था.
अंतरराज्यीय गैंग का खुलासा
इस मामले में आरोपियों के कनेक्शन देश के विभिन्न राज्यों, जैसे गुजरात, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश बॉर्डर तक फैले हुए हैं. क्राइम ब्रांच की टीम पूरे नेटवर्क को उजागर करने के लिए लगातार जांच करते हुए आरोपियों पर कड़ी नजर रखे हुए है.
चित्र चार आरोपियों के नाम से…