बेंगलुरु, (वार्ता) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस नेता और राज्य मंत्री सतीश जारकीहोली के खिलाफ दायर मानहानि का मामला खारिज कर दिया, जिन पर अपनी टिप्पणियों से हिंदुओं को बदनाम करने का आरोप था।
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने बेंगलुरु स्थित वकील दिलीप कुमार द्वारा दायर एक निजी शिकायत पर संज्ञान लेने के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले को रद्द कर दिया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि जारकीहोली ने यह कहकर हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत किया कि हिंदू शब्द फारसी है और इसका नकारात्मक अर्थ है।
अदालत ने निर्णय दिया कि इस मामले में “निश्चित वर्ग” के लोगों की मानहानि शामिल नहीं है, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 (मानहानि) के स्पष्टीकरण-2 के अंतर्गत आवश्यक है। नरसिम्हन बनाम टीवी चोक्कप्पा मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए न्यायाधीश ने इस बात पर बल दिया कि किसी संदिग्ध या अनिश्चित समूह के खिलाफ मानहानि का दावा नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, “यह एक ऐसा मामला है जहां लोगों के एक निश्चित वर्ग को नहीं, बल्कि एक अनिश्चित वर्ग को बदनाम करने का आरोप लगाया गया है।” उन्होंने आगे कहा कि ऐसी स्थिति आईपीसी के अंतर्गत मानहानि योग्य नहीं है।
शिकायतकर्ता ने आईपीसी की धारा 153 का भी हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि जरकीहोली के बयान से कई जगहों पर दंगे भड़के थे. हालांकि, अदालत ने कहा कि बयान धारा 153 की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है, जो दंगों के उद्देश्य से उत्तेजक बयानों को संबोधित करता है। न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वास्तव में दंगा हुआ था या नहीं, और इस मामले में, बयान का उद्देश्य हिंसा भड़काना नहीं था।
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया स्तर पर भी कथित अपराधों की पुष्टि नहीं हुई थी। अदालत ने जारकीहोली के खिलाफ कानूनी कार्यवाही को रद्द करते हुए कहा कि आगे की कार्यवाही की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और इसके परिणामस्वरूप न्याय की हत्या होगी।
जारकीहोली की ओर से अधिवक्ता बीएस श्रीनिवास पेश हुए, जबकि शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता धर्मपाल पेश हुए।