ग्वालियर। ग्वालियर चंबल क्षेत्र में किस तरह से मिलावटी खाद्य पदार्थों का धंधा फल-फूल रहा है और किस तरह प्रशासनिक लापरवाही उसे बढऩे दे रही है इसके तमाम उदाहरण सामने आ रहे हैं। यह बदतर हालत उस समय हैं जब खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि मिलावट के मामले में यह क्षेत्र हमेशा बदनाम बना रहता है। हालांकि खाद्य सुरक्षा विभाग लगातार सैंपलिंग कर खानापूर्ति की कार्यवाही करता रहता है लेकिन लेकिन प्रशासन के पास ऐसी कोई वृहद योजना नहीं है जिसको लागू कर नागरिकों को मिलावटी पदार्थों से मुक्ति मिल सके। अभी हाल ही में जो लापरवाही सामने आ रही है वह तो और चौंकाने वाली है।
खाद्य विभाग की टीम मिलावटी पदार्थों की रोकथाम के लिए जो सैंपल लेती है, महीनों बाद भी उसकी रिपोर्ट नहीं आती। जिसके चलते मिलावटखोरों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है और मिलावट पर रोक न लगने के चलते नागरिकों को मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। खाद्य विभाग के अधिकारी बताते हैं कि सैंपल जाँच के लिए भोपाल जाते हैं और भोपाल से रिपोर्ट आते-आते महीनों लग जाते हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग ने सितंबर में जो नमूने भोपाल लैब में जाँच के लिए भेजे थे, उनकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। जबकि दो महीने से ज्यादा समय बीत चुका है। जो रिपोर्ट आती भी है तो उसमें क्या गड़बड़ झाला होता है, इसका उदाहरण उस मिलावट की घटना से सामने आता है जब साँची द्वारा स्कूलों में वितरण के लिए भेजे गए पेड़ों पर फफूंदी पाई गई जिसके विरोध में पालकों ने जमकर प्रदर्शन किया था लेकिन बाद में वह रिपोर्ट भी नागरिकों के साथ न्याय नहीं कर सकी।