विजयपुर के नतीजे से कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रसन्न

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विजयपुर के नतीजे से कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रसन्न!विजयपुर की जीत ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को संजीवनी दे दी. खास तौर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के लिए यह जीत अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगी. अब उनके हटने की अटकलें लगभग समाप्त हो जाएंगी, और वो नए तेवर के साथ राजनीति कर सकेंगे. वैसे जीतू पटवारी ने इन दोनों उपचुनाव में काफी मेहनत की थी. विजयपुर में कांग्रेस के हर पत्ते सही साबित हुए. खास तौर पर आदिवासी युवा को टिकट देना जीतू पटवारी का मास्टर स्ट्रोक था, जो काम कर गया. सबसे दिलचस्प यह है कि विजयपुर उपचुनाव में कांग्रेस की जीत से कांग्रेस के साथ ही भाजपा के निष्ठावान नेता और कार्यकर्ता भी प्रसन्न हैं. पिछले डेढ़ वर्षो से जिस तरह से भाजपा ने दल बदल का सिलसिला चलाया था उससे भाजपा खासतौर पर संघ परिवार का कैडर बहुत नाराज था. भाजपा के नेता भी यदा-कदा इसके खिलाफ बयान देते थे. खासतौर पर अजय बिश्नोई मुखर थे.

पिछले दिनों सागर जिले की राजनीति को लेकर पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी दल बदलू नेताओं को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. रामनिवास रावत को जिस तरह से भाजपा में लाकर ताबड़तोड़ तरीके से मंत्री बनाया गया,उससे भाजपा के अनेक वरिष्ठ विधायक नाराज थे और ग्वालियर चंबल अंचल के संघ के कार्यकर्ताओं में भी असंतोष था. जाहिर है इन सभी ने रामनिवास रावत के लिए काम नहीं किया. नतीजा सामने है. ऐसे में विजयपुर उपचुनाव के बाद भाजपा दलबदल कर आए नेताओं को सिर पर बिठाने को लेकर 10 बार सोचेगी. वैसे भाजपा के लिए शिवराज सिंह चौहान की बुधनी विधानसभा का परिणाम भी किसी झटके से कम नहीं है.

एक लंबे अरसे के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर भाजपा को अच्छी टक्कर दी है. विजयपुर के साथ-साथ शिवराज सिंह की सीट के चुनाव परिणाम भी भाजपा के लिए झटका ही माने जाने चाहिए. स्वाभाविक रूप से संगठन इसकी समीक्षा करेगा. दरअसल, विजयपुर के मतदाताओं ने प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत के लोकसभा चुनाव में दल-बदल के निर्णय पर अस्वीकृति की मौहर लगा दी है. रावत भाजपा मूल के कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्हौत्रा से 7428 वोटो के अंतर से पराजित हो गये हैं. रावत को विश्वासघात का सबक सिखाने के लिए कांग्रेस ने एकजुटता के साथ पूरी ताकत लगा दी थी.

भाजपा ने कांग्रेस से इस सीट को छीनने के लिए तंत्र के साथ हर मंत्र का उपयोग किया, लेकिन रामनिवास रावत को पराजित होने से नहीं बचा पाई।विजयपुर के आदिवासियों ने संक्रमण काल में कांग्रेस को आक्सीजन प्रदान करने का काम किया है.दरअसल, लोकसभा चुनाव में भाजपा के दवाब में रामनिवास रावत ने दल-बदल किया था. भाजपा इस दल-बदल से श्योपुर-मुरैना लोकसभा सीट जीतने में सफल हुई थी. इस एवज में पुरुस्कार के तौर पर कैबिनेट मंत्री का ओहदा भी मिला था. विजयपुर विधानसभा में हुए उपचुनाव के प्रमुख रणनीतिकार के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से नरेंद्र सिंह तोमर थे. मुख्यमंत्री ने आदिवासियों को साधने के लिए सीताराम आदिवासी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया. विजयपुर के विकास के लिए सरकार का खजाना खोल दिया. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने व्यक्तिगत नाराजगी के कारण उपचुनाव से दूरी बनाकर रखी थी. बहरहाल, पिछले चुनाव में भाजपा की लहर के बाद भी रावत ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. 1998 और 2018 के चुनाव छोड़ दें तो 1990 से 2023 तक आठ चुनाव में 6 बार कांग्रेस ने विजयपुर सीट पर जीत दर्ज की थी

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