तत्कालीन निगमायुक्त ने दायर कराया था मानहानि का परिवाद
नवभारत न्यूज
सतना 20 नवंबर. नगर निगम द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और उसमें तत्कालीन निगमायुक्त की भूमिका को लेकर तत्कालीन पार्षद द्वारा सोशल मीडिया में कुछ संदेश प्रसारित किए गए थे. जिसे संज्ञान में लेकर तत्कालीन निगमायुक्त द्वारा मानहानि का मुकदमा दायर कराया गया था. लेकिन इस मामले में परिवादी की लगातार अनुपस्थिति के चलते जेएमएफसी कोर्ट द्वारा पूर्व पार्षद को दोषमुक्त कर दिया गया.
नगर निगम सतना के माध्यम से संचालित होने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ स्मार्ट सिटी से संबंधित विभिन्न कार्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे को तत्कालीन पार्षद भगवती पाण्डेय द्वारा सोशल मीडिया में उठाने का प्रयास किया गया था. इस मामले में तत्कालीन पार्षद द्वारा ननि के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ तत्कालीन निगमायुक्त प्रवीण सिंह अढ़ायच की भूमिका पर भी सवाल सठाए थे. पार्षद द्वारा सोशल मीडिया में वाइरल किए गए संदेश के मामले में नगर निगम के कर्मचारी संगठन लामबंद हो गए थे. इतना ही नहीं बल्कि कर्मचारियों द्वारा निगमायुक्त को ज्ञापन सौंपते हुए कार्रवाई की मांग की गई थी. जिसके चलते तत्कालीन निगमायुक्त द्वारा तत्कालीन पार्षद के विरुद्ध मानहानि का केस किया गया था. इस मामले में मजिस्ट्रेट जेएमएफसी कोर्ट रेणु यादव के न्यायालय द्वारा पूर्व पार्षद को दोष मुक्त कर दिया गया. इस मामले में पूर्व पार्षद की ओर से फरवी अधिवक्ता जय गोपाल द्विवेदी द्वारा की गई. बताया गया कि तत्कालीन निगमायुक्त द्वारा मानहानि का केस दर्ज करया गया था. लेकिन यहां से स्थानांतरित हो जाने के बाद परिवादी की लगातार अनुपस्थिति बनी रही. लिहाजा परिवादी की अनुपस्थिति के कारण न्यायालय द्वारा पूर्व पार्षद को दोष मुक्त कर दिया गया.