कुछ दिन चला फुहारा, अब पड़ा है बंद
जबलपुर: चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात, यह कहावत शहर के हृदय स्थल कहे जाने वाले बड़े फुहारा के ऊपर है जो कि अभी कुछ समय पहले चालू हुआ करता था। परंतु अब फिर यह फुहारा पहले की तरह बंद पड़ा हुआ है। जिस पर किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।शहर के मुख्य बाजार में स्थित बड़ा फुहारा शहर एक ऐतिहासिक स्मारक और बाजार के बीचों-बीच स्थित शहर का हृदय स्थल भी कहा जाता है।जिसका स्वरूप लोगों को देखते ही बनता है,यहां तक की बड़े फुहारे के नाम से ही यहां का बाजार क्षेत्र भी जाना जाता है।परंतु अब उस बड़े फुहारे का स्वरूप लोगों को देखने को नहीं मिलता है।
कुछ दिनों पहले तक होता था चालू
पिछले कुछ दिनों पूर्व तक बड़े फुहारे का स्वरूप देखने को मिलता था,जब यह फुहारा दोपहर और शाम के समय चालू हुआ करता था। जिससे यहां आने- जाने वाले लोगों को इसका भव्य एवं सुंदर स्वरूप देखने को मिला करता था। वहीं इसके अलावा बड़ा फुहारा मुख्य त्योहार और किसी खास दिनों में ही चालू दिखाई पड़ता हैं। बाकी समय यह पर यूं ही विरान पड़ा रहता है, जिसकी सुध लेने वाला कोई भी कर्मचारी- अधिकारी इसको समय-समय पर चालू नहीं करवाते हैं। यही कारण है कि इसके का चालू और बंद होने का कोई समय नहीं है।
प्रचार- प्रसार का मुख्य साधन बना
शहर के मुख्य चौराहा होने के कारण इसका इस्तेमाल प्रचार- प्रसार के लिए भी किया जाता है।जिसमें देखा जाता है कि बड़े फुहारे के चारों तरफ लगाई गई ग्रिल में बड़े-बड़े पोस्टर और बैनर टंगे हुए नजर आते हैं। जिसके कारण इसके चालू होने या बंद होने से लोगों को फर्क नहीं पड़ता है और अगर कभी यह चालू होता भी है, तो बड़े- बड़े पोस्टर और बैनर से ढका रहता है। जिसके कारण लोग उसका सुंदर और भव्य स्वरूप नहीं देख पाते हैं। ऐतिहासिक स्मारकों पर स्वयं जनप्रतिनिधियों और व्यक्तिगत कार्यक्रमों के लिए भी बड़ा फुहारा एक प्रचार- प्रसार का साधन बनके रह गया