बेंगलुरु में एनर्जी टेक्नोलॉजी मीट शुरू

बेंगलुरू (वार्ता) सेंटर फॉर हाई टेक्नोलॉजी (सीएचटी) द्वारा आयोजित और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (इंडियनऑयल) द्वारा सह-आयोजित एनर्जी टेक्नोलॉजी मीट (ईटीएम) 2024 बेंगलुरु में आज शुभारंभ हुआ । हरित ऊर्जा क्षितिज: सतत शोधन और पेट्रोकेमिकल्स को आगे बढ़ाना की थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में उद्योग विशेषज्ञ, शोधकर्ता, नीति निर्माता और नवप्रवर्तक आदि भाग ले रहे हैं । यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 14 नवंबर तक चलेगा जो स्थायी ऊर्जा नवाचारों और हरित ऊर्जा समाधानों की ओर संक्रमण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एक मंच के रूप में ईटीएम-2024 ने ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और तकनीकी नवाचार को एक साथ लाने के लिए अपनी भूमिका को बरकरार रखा ।

वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भारत द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एवं अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए श्री पुरी ने कहा “ हमारे देश की ऊर्जा मांग 2047 तक दोगुनी हो जाएगी और अकेले भारत से अगले दो दशकों के भीतर मांग में 25 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि की उम्मीद है।” उन्होंने नेट-शून्य लक्ष्य हासिल करने में सक्रिय दृष्टिकोण के लिए तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) और निजी ऊर्जा कंपनियों की सराहना की और इथेनॉल, हाइड्रोजन और जैव ईंधन में प्रगति के माध्यम से प्रधान मंत्री के ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए भारत की तत्परता की पुष्टि की।

मंत्री ने भारत की जैव ईंधन उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और खुलासा किया कि भारत की वर्तमान जैव ईंधन सम्मिश्रण दर 16.9 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जिससे देश 2030 के लिए निर्धारित 20 प्रतिशत लक्ष्य को निर्धारित समय से पांच साल पहले हासिल करने की राह पर अग्रसर है । परिणामस्वरूप, भारत सरकार के की जैव ईंधन पहल से, हमने आयात बिल में 91,000 करोड़ रुपये की बचत की है, जिससे समानांतर रूप से कृषि क्षेत्र को बहुत जरूरी बढ़ावा मिला है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैव ईंधन सम्मिश्रण में विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है, जो टिकाऊ ईंधन प्रथाओं में भारत की अग्रणी स्थिति को रेखांकित करता है।

इसके अलावा, भारत के रिफाइनिंग क्षेत्र पर जोर देते हुए श्री पुरी ने कहा, “ भारत में 250 से अधिक प्रकार के कच्चे तेल को संसाधित करने की क्षमता है, और मौजूदा रिफाइनिंग क्षमता 258 एमएमटीपीए से बढ़कर 310 एमएमटीपीए होने की उम्मीद है।” भारत का रिफाइनिंग क्षमता विस्तार, पेट्रोकेमिकल एकीकरण के साथ मिलकर, भारत को लचीले, कुशल ऊर्जा संक्रमण की दिशा में अच्छी स्थिति में रखता है।

 

 

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