नयी दिल्ली 08 नवम्बर (वार्ता) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को यहां वार्षिक भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया।
दो दिन के इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, सैन्य इतिहास और सैन्य विरासत पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक और भारतीय थिंक टैंक, निगमों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उपक्रमों, गैर-लाभकारी संस्थाओं, शिक्षाविदों और शोध विद्वानों को एक मंच पर लाना है।
जनरल चौहान ने सैन्य मामलों के विभाग और यूएसआई की पहल ‘शौर्य गाथा’ परियोजना का भी शुभारंभ किया जिसका उद्देश्य शिक्षा और पर्यटन के माध्यम से भारत की सैन्य विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है।
सेना प्रमुख ने सैन्य विषयों पर प्रमुख प्रकाशनों का भी विमोचन किया। इनमें एयर मार्शल विक्रम सिंह (सेवानिवृत्त) की ‘भारत-पाक हवाई युद्ध का इतिहास दिसंबर 1971, भारतीय सेना और यू एस आई का संयुक्त प्रकाशन वेलोर एंड ऑनर और डॉ. मृण्मयी भूषण की साइलेंट वेपन्स, डेडली सीक्रेट्स शामिल हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने रक्षा अनुसंधान में नवाचारों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने की अपनी यात्रा और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के एनसीसी कैडेटों ने भाग लिया। तीनों सेनाओं की ओर से सूचनात्मक स्टॉल लगाए गए, जिनमें उनकी भूमिका और महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए उपलब्ध विभिन्न अवसरों को प्रदर्शित किया गया।
भारत के लंबे और समृद्ध सैन्य इतिहास और रणनीतिक संस्कृति के बावजूद, आम जनता का एक बड़ा हिस्सा देश की सैन्य विरासत और सुरक्षा चिंताओं के विभिन्न पहलुओं से अनभिज्ञ है।