कैसे रोक लगे तेज रफ्तार वाहनों और अवैध हूटरों पर
शाजापुर, 8 नवंबर. एक तरफ लोग तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आ रहे हैं और यदि यातायात पुलिस इन पर कार्यवाही करे, तो तत्काल नेताओं के फोन आना शुरू हो जाते हैं. गाडिय़ों पर अवैध रूप से लगे हूटरों को हटाने की यदि कार्यवाही की जाए, तो फोन घनघनाने लगते हैं. यही हाल शहर में अवैध गुमटियों और अतिक्रमण को लेकर भी है. अब ऐसे में सुंदर शहर और रफ्तार पर लगाम की कल्पना कैसे करें.
अवैध गुमटियों का मकडज़ाल पूरे शहर में फैला हुआ है. नईसडक़ पर तो निकलना दुश्वार है. दुकान के बाहर वाहनों के कारण जाम की स्थिति है. यदि यातायात पुलिस किसी वाहन का चालान बनाए, तो तत्काल नेताओं के फोन आना शुरू हो जाते हैं. किसी तेज रफ्तार वाहन को रोक लो, तो नेताओं के फोन घनघनाने लगते हैं. बुलेट में मोडिफाइड साइलेंसर लगाने वालों पर कार्रवाई करो, तो फोन आना शुरू. अवैध हूटरों को निकालने की कार्यवाही करो, तो फोन शुरू. अब ऐसी स्थिति में कैसे कार्रवाई करें, यह सबसे बड़ा सवाल है. यातायात समिति की बैठक में वे ही नेता सुझाव और निर्देश देते हैं, जो खुद वाहन को छुड़ाने के लिए फोन करते हैं.
राजनीतिक संरक्षण के कारण नहीं हो पाती है कार्यवाही
शाजापुर शहर में दो दर्जन से अधिक ऐसे वाहन हैं, जिनमें अवैध रूप से हूटर लगे हुए हैं. गाडिय़ों में काले कांच लगे हुए हैं. रफ्तार पर कोई लगाम नहीं है. लेकिन मजाल है इन गाडिय़ों को पुलिस रोककर चालान तो दूर खाली इतना भी नहीं पूछ सकती है कि हूटर लगाने का अधिकार आपको है या नहीं. गाड़ी रोकी नहीं कि जेब से फोन निकालकर अपने-अपने राजनीतिक आकाओं से कार्यवाही रूकवा दी जाती है. राजनीतिक संरक्षण के कारण वाहनों पर अवैध रूप से लगे हूटरों की संख्या दिन दोगुनी, रात चौगुनी देखने को मिल रही है.
कांग्रेस के मूुस्लिम पार्षद की गाड़ी छुडवाने के लिए भाजपा नेता का दबाव
दो दिन पहले यातायात पुलिस ने आवाज करने वाली एक मोटर साइकिल को पकड़ा था. जिसकी चालानी कार्यवाही की जा रही थी, जिसकी गाड़ी थी वो कांग्रेस का मुस्लिम पार्षद है, लेकिन उसको छुड़ाने के लिए भाजपा के एक नेता ने यातायात पुलिस को फोन लगाया और कहा कि इसको तत्काल छोड़ा जाए. अब सवाल यह उठता है कि जब नेता ही अवैध काम को प्रोत्साहित करें, तो फिर यातायात पुलिस कार्यवाही कैसे करे. एक तरफ भाजपा के नेता कांग्रेस को कोसते हैं और दूसरी तरफ कांंग्रेस के मुस्लिम पार्षदों के कहने पर पुलिस की कार्यवाही रुकवाते हैं.
केवल गांव वालों के बनते है चालान…
शहर के किसी भी दुपहिया वाहन का चालान बनाने के पहले ही नेताओं के फोन आना शुरू हो जाते हैं. मजाल है किसी पुलिस वाले की कि वो अवैध हूटर किसी गाड़ी से निकाल ले. यही कारण है कि गांव से आने वाले लोगों के ही चालान अक्सर देखने को मिलते हैं. यदि शहर को सुंदर और तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम लगाना है, तो नेताओं को कार्यवाही के लिए बार-बार फोन लगाना बंद करना होगा. साथ ही अपने कार्यकर्ताओं को नियमों का पालन करने की समझाइश देना चाहिए.