आस्था का महापर्व छठ, अस्ताचलगामी भास्कर को व्रतियों ने दिया अर्घ्य, छठघाटों पर रही सुरक्षा की व्यापक इंतजामात
नवभारत न्यूज
सिंगरौली 7 नवम्बर। बड़ी भागे धरती पर भईली छठी मईया आगमन तोहार घाटे-घाटे बेदिया बन्हाई जुटे व्रती हजार । फल-फूल मनवा से दउरा सजाई घाटे ऊपर बेदिया तर तन्नी तनाई। सुपूलि तऊनिया में दियरी बराईब हरीयर बांस के बंहगिया लचकत छठी घाटे जाये… पारंपरिक गीतों से आज दिन गुरूवार की दोपहर के बाद से ही ऊर्जाधानी के छठघाट गूंज उठे।
लोक आस्था के महापर्व चार दिनी सूर्यषष्ठी अनुष्ठान का अहम पड़ाव गुरुवार को था। सुबह से ही बिना अन्न-जल के व्रत रखने वाली श्रद्धालु महिलाओं ने शाम को घाटों व तालाबों तथा जलाशयों पर पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। कई पुरुष श्रद्धालुओं ने भी निर्जला व्रत रखा था। व्रती महिलाओं ने पहला अर्घ्य अपने पति या पुत्र से लिया। नदी-तालाब में दीया प्रवाहित कर भगवान सूर्यदेव व छठी मईया को प्रणाम निवेदित किया। शाम 7 बजे तक छठ के पारम्परिक गीतों से घाट गुलजार रहे। आलम यह था कि दोपहर बाद करीब 3:30 बजे से ही श्रद्धालुओं के घाटों पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। तमाम श्रद्धालु नंगे पाव ही माथे पर दउरा लेकर चल रहे थे। घाट पर जाने के लिए छोटे बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था। माथे पर दउरा लिए पुरूष सदस्य के साथ महिलाएं पारम्परिक गीत उजे कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय… गाते हुए घाट पर पहुंची। वहां पहले से तैयार वेदी पर विधि-विधान से पूजन किया और फिर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। दीपदान कर भगवान भास्कर से अपने व परिजनों के कुशलता की कामना की। दीयों व विद्युत झालर बत्तियों से नदी व तालबों सहित घाट जगमगा उठे। मोरवा में मेढ़ौली छठ घाट, रेलवे स्टेशन के समीप बने घाट, झिंगुरदह घाट, बिरला कॉलोनी, एनसीएल कॉलोनी, गनियारी, विंध्यनगर लेक पार्क, बैढ़न तालाब, जयंत, वार्ड क्रमांक 45 सहित अन्य अंचल में स्थित घाट पर भी स्थानीय लोगों ने छठ पर्व पर डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर अपने पुत्र की दीर्घायु और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। दोपहर बाद व्रती महिलाएं अपने परिवार संग घाटों पर प्रस्थान करने लगीं थीं। परिजन सिर पर सूप व हाथों में गन्ना लिए व्रती महिलाओं संग घाटों पर पहुंच रहे थे। घाट पर पहुँचकर उनके द्वारा बनाए गए वेदी पर सूप रख कर छठ माता का घ्यान लगाया गया। सूर्य अस्त होने से पूर्व व्रती महिलाओं ने तालाब में स्नान कर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और फिर अपने वेदी स्थल पहुँच कर अपने-अपने सूप पर घी के दीपक जलाकर छठ मईया का ध्यान लगा अपनी मन्नतें मांगी। गौरतलब है कि कल खरना का प्रसाद चढ़ा और उसे खाकर व्रती महिलाओं ने 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया था। इसी क्रम में आज तीसरे दिन गुरुवार शाम को महिलाओं ने छठ घाट पहुंचकर डूबते हुए सूरज को पहला अर्घ्य दिया एवं कल सुबह उगते हुए सूरज को अर्ध्य देकर व्रती महिलायें अपना व्रत समाप्त करेंगी। इस पवित्र पर्व को देखने के लिए स्थानीय लोगों का काफी हुजूम छट घाटों पर उमड़ा दिखा। मोरवा पुलिस बल, विंध्यनगर, कोतवाली बैढ़न, नवानगर, जयंत की पुलिस नगर निगम अमला घाटों पर लोगों को समझाइस देने में जुटी रही और ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही थी।
नई नवेली दुल्हन की तरह सजा था गनियारी का छठघाट
वार्ड नंबर 41 गनियारी इंदिरा वार्ड में अस्ताचलगामी सूर्य को सांध्य अर्घ्य दिया गया। गनियारी तालाब को नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया था। साफ -सफाई एवं लाईट की व्यवस्था अद्वितीय रही। वही सभी आगंतुकों एवं श्रद्धालुओं ने पार्षद प्रतिनिधि अर्जुन दास गुप्ता की जमकर तारीफ की और कहा कि वार्ड क्रमांक 41 में विकास की गंगा बहने लगी हैं। इस तरह की व्यवस्थाएं कभी नही देखी गई थी। पार्षद गौरी देवी गुप्ता एवं प्रतिनिधि अर्जुन गुप्ता के सक्रियता का परिणाम है। वही पार्षद प्रतिनिधि अपने परिवारजनों के साथ छठघाट पहुंच पूजा अर्चना की।
रेनुसागर यूनिट हेड छठघाट पूजा देखने पहुंचे लोग
अनपरा। गुरुवार को लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का संध्या अर्घ्य अरंग पूरे ऊर्जानगरी में गुरुवार को दिया गया। छठ घाट को पूजा देखने के लिए एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक बीना परियोजना के महाप्रबंधक रेनू सागर के यूनिट हेड आरपी सिंह, अनपरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक जेपी कटियार का हुआ नाला अर्जुन छठ घाट के आरपीएल कंपनी के जीएम आरजी खंडेवाल, समाजसेवी प्रदीप राय, अतुल शाह, प्रकाश यादव, दीपक सिन्हा, महेंद्र यादव, माधवेंद्र सिंह सहित समाजसेवी घाटों पर पहुंचकर पूजा पाठ में लगातार सहयोग कर उनका मनोबल बढ़ाया।
अर्ध्य देकर आज टूटेगा व्रत
चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व शुक्रवार की अल सुबह उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देकर समाप्त हो जायेगा। शुक्रवार को अलसुबह पुन: एक बार फिर व्रतियों व भक्तों का जमावड़ा घाटों पर उमड़ेगा। जिसके बाद उगते हुए सूरज को देखकर यह कठिन व्रत समाप्त होगा।