नवभारत न्यूज
रीवा, 2 नवम्बर, जर्जर भवनो को गिराए जाने शासन स्तर से आदेश दिया गया. लेकिन उसका जमीनी स्तर पर कितना पालन हो पाता है यह अधिकारियों की रिपोर्ट से ही पता चल जाता है. जिले के अधिकांश पावर स्टेशनो की बिल्डिंग जर्जर होलत में है.
आलम यह है कि यहा बैठने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की जान हर समय खतरे में पड़ी रहती है. ऐसा ही मामला सब स्टेशन कपसा का सामने आया है जहा की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो गई है. भवन के लिये बनाए गए पिलरो में दरारे आ गई है, ऐसे में कर्मचारी दहशतजदा रहते है. यही नही ग्रामीण भी इसको लेकर कई बार अधिकारियों से शिकायत कर चुके, बावजूद इसके कोई सुधार नही कराया गया. अभी हाल ही में एक भवन धराशाई हो गया था, वही गढ़ कस्बे में दीवार गिर चुकी है. इसके बाद भी जर्जर भवनो का मरम्मतीकण नही कराया जा रहा है. खास बात यह है कि रीवा मुख्यालय से महज 15 किलो मीटर दूर स्थित कपसा विद्युत उपकेन्द्र की न सिर्फ बिल्डिंग गिरने की कगार पर है बल्कि वहा लगाए गए विद्युत संयंत्र भी पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील हो चुके है. स्थानीय लोगो ने बताया कि विद्युत उपकरण में वर्षा पूर्व खम्भे स्थापित किये गये थे वह भी जर्जर हो गए है. बिल्डिंग की हालत देख कर ऐसा लगता है कि बिजली कम्पनी के अधिकारियों को वहा काम कने वाले कर्मचारियो की जान से कोई लेनादेना नही है, जिसकी वजह से सुधार कार्य नही कराया जा रहा है. कई बार गांव के लोगो ने अधीक्षण यंत्री एवं तत्कालीन विधायक से इसका मरम्मतीकरण कराए जाने ज्ञापन सौंपा लेकिन हालत जब के तब बने हुए है.
जिले के अन्य सब स्टेशन भवन की हालत खराब
गौरतलब है कि कपसा विद्युत उपकेन्द्र के साथ ही बैकुण्ठपुर तथा तराई अंचल के कई उपकेन्द्रो के पुराने भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. मेंटीनेंस के नाम पर लाखो रूपये खर्च तो कर दिये जाते है लेककिन जर्जर हो चुके भवनो का न तो मरम्मती कारण कार्य कराया जाता हे और न ही कोई सुधार, स्थित यह है कि पुराने भवन कभी भी धराशाई हो सकते है. बतादें कि यदि कर्मचारियों की मौजूदगी में कोई बड़ा हादसा होता है तो जिम्मेदार कौन होगा. दो दर्जन से अधिक जिले में बनाए गए उपकेन्द्रो के भवन पूरी तरह से कंडम हो चुके है और यह कभी भी गिर सकते है.