इस बार दिवाली का त्योहार विशेष रूप से उत्साह के साथ मनाया गया. भारत को जहां अंतरराष्ट्रीय मंच पर महत्व मिला, वहीं देश की आर्थिक स्थिति भी अपेक्षाकृत अच्छी मानी जा रही है. उम्मीद करनी चाहिए कि यह उल्लास और शांति पूरे वर्ष भर बनी रहेगी.दरअसल, दुनिया की पचास प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्था पर निगरानी करने वाली और लगातार रिपोर्ट प्रसारित करने वाली अमेरिकी कंपनी ब्लू बर्ग के अनुसार आने वाले दशक में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5 – 7 प्रतिशत आर्थिक विकास दर की रफ्तार से बढ़ेगी, जो चीन के मुकाबले ढाई गुना अधिक है. ब्लू बर्ग की यह रिपोर्ट देशवासियों को आश्वस्त करती है. दरअसल, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गई है. इस वजह से उस पर अपने आर्थिक विकास दर को कायम रखने बल्कि और बढ़ाने का दबाव सदैव रहेगा. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा में भी भारत की आर्थिक रफ्तार को संतोषजनक बताया है. जाहिर है आर्थिक मोर्चे पर भारत सही दिशा में प्रयास कर रहा है . भारत की अन्य सभी प्रतिष्ठित आर्थिक संस्थाओं की रिपोर्ट में भी भारत की वृद्धि 6.5 $फीसदी होने का अनुमान लगाया गया है. वित्त वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में आर्थिक पुनरुद्धार मजबूत हुआ है और गति बढ़ रही है.इस वृद्धि का अधिकांश श्रेय निजी खपत में वृद्धि, उच्च पूंजीगत व्यय, कॉर्पोरेट बैलेंस शीट की मजबूती, छोटे व्यवसायों के लिए ऋण वृद्धि और शहरों और कस्बों में प्रवासी श्रमिकों की वापसी को दिया जा सकता है.पूंजीगत व्यय आधारित विकास पर ध्यान केंद्रित करने से भारत विकास-ब्याज दर के अंतर को सकारात्मक बनाए रखने में सक्षम होगा. सकारात्मक विकास-ब्याज दर अंतर ऋण स्तर को टिकाऊ बनाए रखने में मदद करेगा. वैश्विक कारणों के चलते कमोडिटी की कीमतों में तेजी देखने को मिली हैं, लेकिन इन मुश्किलों के बावजूद आर्थिक विकास में रफ्तार दिखाई दी है.चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का ग्रोथ रेट 4.8 प्रतिशत, कृषि क्षेत्र विकास दर 2.2 प्रतिशत, कंस्ट्रक्शन सेक्टर का ग्रोथ 16.8 प्रतिशत, ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन जैसी सेवाओं का ग्रोथ रेट 25.7 प्रतिशत रहा, जबकि फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज का ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी रहा है. बहरहाल, आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार अर्थव्यवस्था को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति के मामले में सतर्क रहने की जरूरत है. देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर इस बात से भी जाहिर है कि पिछले 6 महीनों से लगातार जीएसटी कलेक्शन बढ़ रहा है. जीएसटी कलेक्शन औसतन एक लाख तीस हजार करोड रुपए के लगभग है. जीएसटी कलेक्शन से यह भी जाहिर हो रहा है कि बाजार में पर्याप्त तरलता है और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है. ऑटोमोबाइल सेक्टर, सर्विस सेक्टर के साथ ही 2 वर्षों से मानसून संतोषजनक रहने से कृषि उत्पादन भी बढ़ा है.इस वर्ष भी मानसून अच्छा रहा है. इस बार भी रिकॉर्ड पैदावार के स्पष्ट संकेत हैं. इससे किसानों की समस्या हल होने की भी उम्मीद है. कुल मिलाकर आर्थिक रफ्तार संतोषजनक जरूर है लेकिन इसे कायम रखने के लिए निरंतर प्रयास करने की भी आवश्यकता रहेगी. सरकार को इस संबंध में लगातार कदम उठाए रखने की आवश्यकता है. महंगाई और बेरोजगारी की दर में वृद्धि चिंताजनक है. इन दोनों कारणों से भारत की अर्थव्यवस्था कभी भी बेपटरी हो सकती है. इसलिए इन दोनों क्षेत्रों में लगातार सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे.बहरहाल,भारत के मजबूत अर्थव्यवस्था को देखते हुए यह उम्मीद की जानी चाहिए कि दिवाली का इस वर्ष का उल्लास पूरे वर्ष भर कायम रहेगा.
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