जहां नाथ रथ दोगे वही मैं रहूंगा, जहां ले चलोगे वही मैं चलूंगा, ये जीवन समर्पित शरण में तुम्हारे

श्रीराम कथा के आठवे दिन श्रोताओं ने भक्तिरूपी नईया में लगाए गोता, कल दिन बुधवार सुबह 10 बजे से शुरू होगी श्रीराम कथा, सुन्दरकाण्ड और राज्याभिषेक का होगा वर्णन, विशाल भण्डारे का आयोजन भी

नवभारत न्यूज

सिंगरौली 30 अक्टूबर। जिला मुख्यालय एनसीएल ग्राउंड बिलौंजी में चल रहे श्री रामकथा के आठवे दिन कथावाचक श्री राजन महाराज जी ने सबरी प्रेम कथा के बारे में वर्णन किया।

श्री राजन जी महाराज कथा का श्रवण कराते हुये कहते हैं कि रामजी के भगत किसी भी भगवान के आगे प्रणाम करे तो इस चौपाई को गाईये। हे प्रभु सीता राम चरण रति मोरे।। अनुदिन बढ़ौउ अनुग्रह तोरे।। साथ ही श्री महाराज जी आगे बताते हुये कहा कि कन्हैया वाले राधे श्याम लगा ले। राधे श्याम चरण रति मोरे।। आप रघुनाथ को अगाध प्रेम करते हैं। साथ ही श्री महाराज जी ने चौपाई बातते हुये कहा कि रामचरण अनुराग अगाधा। जहां भरत भईया प्रसन्न हो गये। वही साथ में ही श्री महाराज जी ने कथावाचक करते हुये कहा कि अंत में भरत भईया खड़े हो गए और खड़े होकर प्रणाम करके बोले भईया राम मैं बताउ मैं क्या चाहता हॅू। श्री राम जी कहे कहों। जहां नाथ रख दोगे वही मैं रहूंगा, जहां ले चलोगे वही मैं चलूंगा। ये जीवन समर्पित शरण में तुम्हारे तुम्ही मेरे सर्वस्व तुम्ही प्राण प्यारे। तुम्हे छोड़कर ना मैं किससे कहूंगा। जहां ले चलोगे वही मंैं चलूंगा। जहां श्री महाराज जी सबरी मईया के बारे में वर्णन करते हुये बताया कि गुरूजी बोले थे राम आएंगे प्रतिक्षा करना। उसी दिन से सबरी मईया रामा-रामा रटते-रटते बीती रे उमरिया। रघुकुल नन्दन कब आओगे। भिलनी की डगरिया। मै सबरी भिलनी की जाई भजन भाव नही जाऊ रे। राम तुम्हारे दर्शन के हित पल में जीवन पाऊ रे। चरण कमल से निर्मल कर दूॅ, दास की झोपड़िया।। जहां सबरी देखी की दो पुरूष आ रहे हैं । वो सोची की क्या यही राम हैं क्या। राम जी जैसे दिखाई पड़े वैसे ही सबरी मईया को गुरूजी का वचन याद आ गया। सबरी मईया ने कहा कि गुरूजी जब राम जी आएंगे तो मैं पहचानूंगी कै से। गुरूजी ने पॉच लक्षण बताए थे। कमल पंखुड़ियों की तरह हो, दूसरा बाहू विशाल भुजाएं होंगी, तीसरा जटा मुकुट , पूरवन माला एवं गले में वनमाल होगी। तब तक राम जी पास आ गये। सबरी मईया ने कहा भाई साहब आप जो ये माला पहने हैं इस माला का नाम क्या है। राम जी बाले माई ये वनमाल है। सबरी मईया बोले चार मिल गए। बस अंतिम बचा है और राम जी बोले क्या मिला रही हो। जहां मईया सबरी बोली बोलिये मत जब मिल जाएगा तो बताऊंगी। वही मईया गुरूजी की पॉचवी बात भूल गई और सोचने पर याद आया कि पॉचवा बोले थे कि राम जी अके ले नही बल्कि दो आएंगे। एक सावले होंगे और एक गोरे होंगे। वही भगवान श्रीराम जी बोले की माई हम रघुराई है और ई हमार छोट भाई है। जैसे ही श्रीराम जी ने कहा वैसे ही मॉ सबरी प्रभु के चरणों में लिपट गई। बार-बार वंदन करती हैं, सुन्दर आशन लगाकर पाव पखारा। कन्दमुल लाकर दिया। भगवान श्रीराम प्रेम से खाएं। साथ ही श्री महाराज जी ने आगे बताते हुये कहा कि पहली भक्ति जीवन में संत का संघ हो जाए। दूसरी भक्ति भगवान के कथा में प्रेम हो जाए, तीसरी भक्ति गुरूदेव भगवान की मानरहित होकर सेवा हो, कपट का त्याग कर भगवान का गुणगान करना। भगवान का विश्वास पूर्वक मंत्र का जाप करना ये पॉचवी भक्ति बताई। इस दौरान सांसद डॉ. राजेश मिश्रा, मोरवा निरीक्षक कपूर त्रिपाठी, ननि लेखाधिकारी वित्त सत्यम मिश्रा ने जहां पूजन किये। वही पूर्व विधायक अमर सिंह, प्रवेन्द्र-धर द्विवेदी, हरेन्द्र तिवारी सीधी सहित अन्य ने महाराज जी का आर्शीवाद प्राप्त किया।

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