भारत में अशांति फैलाने की बड़ी साजिश !

ऐसा लगता है भारत में अस्थिरता और अशांति फैलाने की बड़ी साजिश चल रही है. लगातार विमानों में बम होने की धमकियां मिल रही हैं. ट्रेनों को बेपटरी करने की साजिश भी लगातार सामने आ रही है. इस मामले में सरकार को बड़े और ठोस कदम उठाने की जरूरत है.दरअसल पूरे देश में स्कूलों, हवाई अड्डों, विमानों को बम से उड़ाने की धमकी, रेल पटरियों पर कहीं डेटोनेटर, कहीं लकड़ी के ग_र, कहीं गैस सिलेंडर मिलने लगे.इसके साथ पर्वों पर हमले बढ़ गये हैं.यह भारतीय समाज जीवन में भय, आतंक और तनाव फैलाकर प्रगति अवरुद्ध करने का नया षड्यंत्र है. इसमें भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय और भारत के भीतर की दोनों शक्तियों का गठजोड़ दिखता है. देश भर में हुए दुर्गा विसर्जन में पथराव और बहराइच में क्रूरता पूर्वक की गई हत्या के दर्द से देश उबरा भी नहीं था कि भारतीय विमानों को उड़ाने की धमकियां आने लगीं.

दुर्गा विसर्जन से शरद पूर्णिमा के बीच चार दिनों में कुल उन्नीस धमकियां मिलीं. सावधानी के लिए सात उड़ानों को या तो स्थगित किया गया अथवा आपात लैंडिंग की गई. कुछ तो ऐसे विमानों की भी आपात लैंडिंग हुई जो विदेश जा रहे थे. हालांकि विमानों को उड़ाने धमकी भरे ईमेल या फोन और त्यौहारों पर हमलों की घटनाएं पहले भी हुई हैं,लेकिन पिछले छ: महीनों से भारतीय समाज जीवन में आतंक और तनाव फैलाने वाली इन घटनाओं में

बाढ़ सी आ गई है. इन धमकियों और घटनाओं की क्रोनोलॉजी समझने की जरूरत है. ऐसा लगता है जैसे-जैसे भारत की प्रतिष्ठा और साख दुनिया में बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे भारत विरोधी ताकतें हताशा में आती जा रही हैं.यह विश्व में भारत की बढ़ती साख और प्रतिष्ठा का नया अध्याय है कि गाजा पट्टी का तनाव रोकने और यूक्रेन-रूस युद्ध के समाधान के लिये दुनियां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आगे आने की अपेक्षा कर रही है. दरअसल,यह आशंका निराधार नहीं हो सकती कि यह भारत की विकास गति अवरुद्ध करने का षड्यंत्र है.इसमें देश विरोधी गहरे कुचक्र की गंध आती है. 1991 की ग्लोबलाइजेशन पॉलिसी के बाद भारत ने जो विकास गति पकड़ी है उससे आयात घटा है, आत्मनिर्भरता बढ़ी है. यह भारत की विकसित तकनीक का प्रमाण है कि अब दुनियां के पन्द्रह देश अपने उपग्रहों के प्रक्षेपण में भारतीय तकनीकी की सहायता ले रहे हैं.इससे चीन जैसे अनेक देश ही नहीं अमेरिका और कनाडा की भी एक विशेष लॉबी चिंतित है. इन लॉबियों का गठजोड़ बंगलादेश के सत्ता परिवर्तन में देखा जा सकता है. कुल मिलाकर सारी घटनाओं को एक कड़ी में मिलाकर जोडऩे से साफ पता चलता है कि देश के खिलाफ एक बड़ी साजिश चल रही है. इसका एक कारण यह भी नजर आता है कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार ने जिस तरह से आंतरिक सुरक्षा के मामले में काम किया है, उससे बड़ी आतंकी घटनाएं लगभग बंद हो गई हैं. पिछले 10 वर्षों में जम्मू और कश्मीर के तीन-चार जिलों को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी बड़ी आतंकी घटनाएं नहीं हुई हैं. जाहिर है इससे भारत में आतंक फैलाने का काम करने वाले संगठन हताश हो गए हैं. इन संगठनों ने देश में अस्थिरता फैलाने का अपना पैटर्न बदला है. जाहिर है भारत की आंतरिक सुरक्षा में लगी एजेंसियों को भी इनका सामना करने के लिए नए तरीके से सजग होना पड़ेगा.दरअसल, किसी देश की आर्थिक समृद्धि इस बात पर निर्भर करती है कि वहां की कानून व्यवस्था कितनी मुकम्मल रहती है. भारत ने लंबे समय तक आतंकवाद का दंश झेला है. 4 वर्ष पूर्व हुई कोरोना महामारी के बाद बड़ी मुश्किल से हमारा देश आर्थिक विकास की पटरी पर लौटा है. ऐसे में हम किसी भी प्रकार की अस्थिरता और अशांति बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है. जाहिर है केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ देश की जनता को भी इस मामले में सजग होना पड़ेगा. हमें आपसी सद्भाव और भाईचारा बना कर रखना पड़ेगा जिससे आतंकियों और देश विरोधी संगठनों के नापाक मंसूबे विफल हो जाएं.

Next Post

गंदेरबल आतंकी हमले में डॉक्टर सहित सात लोगों की मौत

Mon Oct 21 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email श्रीनगर (वार्ता) जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले में रविवार शाम को हुए आतंकी हमले में एक स्थानीय डॉक्टर सहित सात लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि यह हमला श्रीनगर-लेह […]

You May Like