नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (वार्ता) वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका के साथ भारत के संबंधों के वर्तमान दौर को ‘एक नयी और अभूतपूर्व सकारात्मकता भरा” बताते हुए शनिवार को कहा कि भारत महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार के लिये अमेरिका के साथ सहयोग को भागीदारी के स्तर पर ले जाना चाहता है।
श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन के साथ दस वर्षों के सहयोग और समन्वय के चलते व्यापार और निवेश के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध आज ऐसे दौर में प्रवेश कर गये हैं जहां ‘संशय और विवाद की जगह भारत के प्रति एक नया विश्वास स्थापित हुआ है।”
श्री गोयल इस महीने के शुरू में अमेरिका की अपनी चार दिवसीय यात्रा पर गये थे। इस दौरान उन्होंने पहले दो दिन न्यूयार्क में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, एसोसिएशनों और निवेशकों के साथ बैठकें की और यात्रा के दूसरे चरण में वाशिंगटन में भारत-अमेरिका सीईओ फोरम की बैठक में भाग लेने के अलावा अमेरिका की वाणिज्य मंत्री गिना रैमॉन्डो और अमेरकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) कैथरीन ताई के साथ व्यापार और निवेशक संबंधों की प्रगति की समक्षा की और व्यापार नीति संबंधी विषयों पर वार्ता की।
इस दौरान दोनों पक्षों के बीच क्रिटिकल मिनिरल्स (महत्वपूर्ण खनिजों) की आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार के क्षेत्र में सहयोग का एक करार भी किया गया।
श्री गोयल ने अपनी इस यात्रा के बारे में आज यहां संवाददाताओं से लम्बी चर्चा में कहा, “यह एक असाधारण यात्रा थी और इसका अनुभव जो पहले की यात्राओं से बिल्कुल अलग था। इस दौरान, विभिन्न बैठकों में कोई नकारात्मक मुद्दा नहीं उठा।” उन्होंने कहा कि भारत में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार के सत्ता में आने को वहां के लोगों में ‘एक प्रकार का कौतूहल दिखा और इसके कारण लोगों में एक अभूतपूर्व सकारात्मकता भी स्पष्ट दिख रही थी।’
उन्होंने कहा, “रुपया-डॉलर विनिमय दर की स्थिरता को लेकर वहां के निवेशक अब निश्चिंत लगते हैं, क्योंकि इसमें एक स्थिरता आयी है। संबंधों के भविष्य को लेकर संशय की बात अब इतिहास बन चुकी है।”
श्री गोयल ने राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच शिखर बैठक के बाद दोनों देशों के बीच इस्पात, एल्यूमिनियम, तथा कुछअन्य औद्योगिक एवं कृषि उत्पाद व्यापार के क्षेत्र में चल रहे सात विवादों को समाप्त किए जाने पर बनी सहमित का उल्लेख करते हुए कहा, “अब विवाद के मुद्दे इतिहास बन चुके हैं।”
श्री गोयल की इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार और विविधीकरण के लिये एक सहमति के एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से इस समझौते का क्रियान्वयन खनन मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम इस समझौते को भागीदारी के स्तर ले जाएंगे और इसमें तीसरे देशों को भी जोड़ने पर विचार किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका में इस सम भारत से प्राकृतिक हीरे का निर्यात मंदी के कारण कुछ प्रभावित हुआ है, लेकिन वहां प्रयोगशाला में तैयार हीरे जटित आभूषणों की मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत का रत्न आभूषण उद्योग अपने डिजाइन के लिये विख्यात है और भारत की प्रयोगशाला में विनिर्मित हीरे के कारोबार में भी उभर चुका है और स्थिति हमारे अनुकूल रहने की है।
श्री गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका सीईओ फोरम का अमेरिका में चुनाव के बाद जल्दी ही पुनर्गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिये उन्होंने इसमें नये क्षेत्रों और युवा उदमियों को भी रखने का सुझाव दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत में भौतिक संपदा कानूनों में सुधार और भारत के पेंटेट कार्यालय की दक्षता को देखते हुये वहां की कंपनियां प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाना चाहती हैं और फार्मा, डिजिटल टेक्नोलॉजी और रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास के लिये मिलकर काम करने को इच्छुक दिखी हैं।
उन्होंने संकेत दिया कि दोनों पक्ष फ्यूजन (परमाणु संलयन) प्रौद्योगिकी पर आधारित माड्यूलर परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग की नयी पहल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिशन (परमाणु विखंडन) आधारित प्रौद्योगिकी की तुलना में भविष्य में परमाणु संलयन प्रौद्योगिकी पर जोर होगा क्यों की इसमें जोखिम कम हैं।
श्री गोयाल ने प्रधानमंत्री मोदी की पिछली अमेरिका यात्रा में भारत में उन्नत सेमी कंडक्टर इकाइयां (कंप्यूटर चिप फैब्रिकेशन) लगाने के लिए दोनों पक्षों के बीच सहयोग की घोषणा का भी उल्लेख किया ।
उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा, हरित अमोनिया तथा हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में भारत वैश्विक केंद्र बनाने की संभावना रखता है और इन क्षेत्रों में भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ने की बड़ी संभावना है। उन्होंने अमेरिका के साथ एक दूसरे के यहां सीमित समय के लिए आने जाने वाली कंपनी कर्मियों सामाजिक सुरक्षा अंशदान (पीएफ कटौती) से मुक्त करने के प्रस्तावित टोटलाइजेशन समझौते के बारे में पूछे जाने पर कहा, “इस पर पहले से ही बात चल रही है। उन्होंने हमसे कुछ जानकारियां चाही थीं। उन्हें इसे उपलब्ध करा दिया गया है। वे उस पर विचार कर रहे हैं।”
भारत के लिए अमेरिका व्यापार और निवेश के क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार है।