मुंबई, 18 अक्टूबर, (वार्ता) रियल एस्टेट निवेश के लिए सबसे पसंदीदा एसेट क्लास बना हुआ है क्योंकि अधिकांश लोग इसमें निवेश करना चाहते हैं और 67 प्रतिशत लोग अपने उपयोग के लिए संपति खरीदते हैं जबकि 33 प्रतिशत निवेश के लिए।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) और एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स ने आज यहां रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट समिट के दूसरे संस्करण में अपनी बहुप्रतीक्षित “होमबॉयर सेंटीमेंट सर्वे – एच 1 2024” रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में घर खरीदने वालों की प्राथमिकताओं और बाजार की गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलावों का खुलासा किया गया है।
सर्वेक्षण में 14 शहरों के 7,615 प्रतिभागियों से प्रतिक्रियाएं एकत्रित की गईं, जिनसे घर खरीदारों की प्राथमिकताओं में महत्वपूर्ण बदलाव और भारतीय आवासीय अचल संपत्ति बाजार में उभरते रुझान का पता चलता है।
सर्वे के अनुसार रियल एस्टेट निवेश के लिए सबसे पसंदीदा एसेट क्लास बना हुआ है, जिसमें 59 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इसका समर्थन किया है। 67 प्रतिशत खरीदार अंतिम उपयोग के लिए संपत्ति चाहते हैं, जबकि 33 प्रतिशत निवेश करते हैं। तैयार घरों की मांग में काफी गिरावट आई है। नए लॉन्च के लिए तैयार घरों का अनुपात अब 20अनुपात 25 है, जबकि 2020 की पहली छमाही में यह 46 अनुपात 18 था।
इसमें कहा गया है कि 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने 3कमरों के अपार्टमेंट को प्राथमिकता दी, जो बड़े घरों की बढ़ती मांग को दर्शाता है। 45 से 90 लाख रुपये का बजट 35 प्रतिशत के साथ सबसे लोकप्रिय बना हुआ है लेकिन प्रीमियम संपत्तियों की ओर रुझान बढ़ा है। 28 प्रतिशत लोग अब 90 लाख और 1.5 करोड़ रुपये के बीच की कीमत वाले घरों को पसंद करते हैं।
इसके अनुसार 58 प्रतिशत लोगो के साथ अपार्टमेंट अभी भी सबसे पसंदीदा संपत्ति प्रकार हैं, लेकिन आवासीय भूखंड विशेषकर दक्षिणी शहरों में लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार घर खरीदने वालों की शीर्ष मांग समय पर परियोजना पूरी होना , बेहतर निर्माण गुणवत्ता और अच्छी तरह हवादार घर हैं। 57 प्रतिशत निवेशक शहरों में बढ़ती किराये की दरों के कारण किराये की आय अर्जित करने के लिए संपत्ति खरीद रहे हैं। 53 प्रतिशत से अधिक घर खरीदने वाले मौजूदा किफायती आवास विकल्पों से असंतुष्ट हैं, जो स्थान, निर्माण गुणवत्ता और इकाई के आकार से जुड़ी समस्याओं का हवाला देते हैं।
इसमें कहा गया है कि 71 प्रतिशत लोगों ने कहा कि 8.5 प्रतिशत से कम होम लोन ब्याज दर खरीद निर्णयों पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, 9 प्रतिशत से अधिक दरें 87 प्रतिशत खरीदारों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेंगी।