चित्रकूट में वीवीआईपी दौरे से पहले व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में लगा था नप अमला
सतना : चित्रकूट में वीवीआईपी दौरे से पहले व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुटे नगर परिषद के एक कर्मचारी की रविवार को दु:खद मृत्यु हो गई. स्फटिक शिला तिराहे पर रोड लाइड के खंबों पर लगे पोस्टर,बैनर और फ्लक्स निकालने के दौरान एक कर्मचारी करेंट की चपेट में आ गया. जिसे अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया.चित्रकूट में आगामी वीवीआईपी दौरे के मद्देनजर वहां की साफ-सफाई सहित अन्य सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा था. इसी कड़ी में रविवार को अवकाश होने के बावजूद भी नगर परिषद के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई. जिसके चलते सुबह से ही नप के कर्मचारी अलग-अलग स्थानों पर मुस्तैद हो गए थे. इसी कड़ी में नप में भृत्य के पद पर पदस्थ चतुर्थ श्रेणी स्थायी कर्मचारी शिव प्रकाश साहू पिता सौखीलाल उम्र 52 वर्ष निवासी ठर्री भगनपुर चित्रकूट उप्र भी स्फटिक शिला तिराहे पर नप की रोड लाइट पर लगे पोस्टर, बैनर और फ्लक्स को हटाने के कार्य में जुटा हुआ था.
इन दिनों वह अपने परिवार के साथ चित्रकूट उप्र के सीतापुर में निवास कर रहा था. जहां से वह कार्य करने के लिए आता था. कार्य करने के दौरान अचानक ही शिव प्रकाश बेसुध होकर नीचे गिर पड़ा. जिसे देखते हुए आस पास मौजूद कर्मचारी उसे फौरन उठाकर अस्पताल ले गए. जहां पर चिकित्सकों ने जांच करने पर उसे मृत घोषित कर दिया. इस घटना की जानकारी मिलते ही एक ओर जहां नप के कर्मचारियों के बीच सनाका खिंच गया. वहीं दूसरी ओर मौके पर पहुंचे परिजनों में कोहराम मच गया. घटना की जानकारी मिलते ही सीएमओ नप सहित पार्षद व अन्य कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए. चूंकि शिव प्रकाश को रक्त चाप सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की जानकारी लोगों को पहले से थी. इसलिए अधिकांश लोग यही मानकर चल रहे थे कि संभवत: हृदय घात के चलते उसकी मौत हो गई होगी. वहीं चिकित्सकों द्वारा मृत कर्मचारी के शव को पोस्टमार्टम के लिए मझगवां स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया.
पैर में दिखे जलने के निशान
नप के जिम्मेदारों द्वारा कर्मचारी की मौत को भले ही हृदय घात के चलते बताया जा रहा था. लेकिन जब अस्पताल पहुंचे परिजनों ने शव को देखा तो पैर में जलने के निशान नजर आए. जिसे देखकर परिजनों ने शिव प्रकाश की मौत करेंट लगने के कारण होना बताने लगे. मझगवां सीएचसी में हुए पोस्टमार्टम में परिजनों का दावा सही साबित हुआ. जिसे देखते हुए परिजनों ने सीधा आरोप लगाया कि नप के जिम्मेदरों द्वारा बरती गई लापरवाही के चलते ही शिव प्रकाश को अपनी जान गंवानी पड़ गई. परिजनों के अनुसार शिव प्रकाश 1981 से नप में कार्य करते हुए मिलने वाली हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाते आ रहे थे. लेकिन उनके इस कत्र्तव्य का जिम्मेदारों की ओर से यह परिणाम मिला.