रात्रि 12 से शुरू हुआ भूतों का मेला अगले दिन दोपहर तक चला रहा प्रेत बाधा दूर करने का सिलसिला। 

नव भारत

बागली। (सुनिल योगी)देवास जिले के बागली क्षेत्र में स्थित धारा जी घाट पर लगने वाला प्रसिद्ध भूतों का मेला 16 वर्ष के बाद फिर से पुराने वैभव की ओर लौट आया पूर्व में यहां पर नर्मदा नदी वेग धारा के रूप में बहती हुई दिखाई देती थी। दूर से देखने पर दूध जैसी धार यहां दिखाई देती थी और प्रचंड आवाज आती थी। इसलिए इस स्थान का नाम धारा की पड़ा । बहती नदी के दोनों और 500 मीटर से अधिक प्राकृतिक पत्थरों का घाट खुला हुआ था। जहां पर श्रद्धालु रात्रि विश्राम करते और चौदस तिथि की रात्रि 12 से ही तांत्रिक पूजन क्रिया आरंभ हो जाती । माना जाता है कि प्रेत बाधा से ग्रसित या अन्य बाहरी मानसिक बीमारियों से ग्रसित पीड़ित व्यक्ति यहां आते हैं। और उनके दुख दर्द को ओझा और पंडे तंत्र-मंत्र से दूर करते थे ।इसलिए इस मेले को भूतों का मेला कहते हैं। इस बार भी सर्व पितृ अमावस्या जिसे भूतडी अमावस्या भी कहते हैं। उक्त चौदस तिथि मंगलवार को रात्रि 12बजे से ही तंत्र-मंत्र विद्या के साथ भूतों का पूजन का सिलसिला शुरू हो गया दूर दराज से आए कई परिवारों के समूह ने इस नजारे को अच्छी तरह देखा बुधवार दूसरे दिन तक यह कार्यक्रम चलता रहा शाम 4 बजे के बाद धीरे-धीरे घाट खाली होने लगा है। श्रद्धालुओं ने बताया कि घाट पर भूत चुड़ैल डाकिनी पिशाचिनी आदि बढ़ाओ को दूर करने के उपाय किए गए। घाट पर अलग-अलग सॉन्ग देखने को मिले किसी को माताजी आ रही थी तो किसी को भेरू महाराज किसी को नाग महाराज किसी को लोहागल महाराज भिलट देव आदि हवा उनके बदन में आ रही थी और वह जोर-जोर से चिल्ला चिल्ला कर संबंधित पीड़ित व्यक्तियों का दर्द दूर कर रहे थे। हालांकि पुलिस प्रशासन की मुस्तादी के चलते कोई भी गहरे पानी में नहीं जा पाया और कोई अप्रिय घटना नहीं घटी । घाट स्थान पर जटाशंकर सेवा समिति पातालपुरी बाबा और अन्य सामाजिक संस्था द्वारा भोजन भंडारे अन्य व्यवस्था भी की गई। प्रशासन की ओर से घाट पर बार-बार अनाउंसमेंट भी किया जा रहा था।

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