मामला चर्चित अहिल्या पथ का
इंदौर: पश्चिम क्षेत्र की चर्चित अहिल्या पथ सड़क के आस पास अनुमति पर रोक हटा ली गई है. अब अहिल्या पथ योजना में शामिल खसरों को छोड़कर बाकी जमीन पर टीएनसीपी हो जाएगी. इस आशय के आदेश शासन ने जारी कर दिए है.करीब 95 मीटर चौड़ी और 15 किलोमीटर लंबी आईडीए की अहिल्या पथ सड़क के आस पास की जमीनों के कारण चर्चित हो गई. इसमें भ्रष्टाचार होने की चर्चा भी लगातार चल रही है. विवाद के बाद आईडीए के निजी कंसल्टेंट मयंक जगवानी ने इस्तीफा दे दिया था. 9 जुलाई को आईडीए ने मास्टर प्लान में प्रस्तावित अहिल्या पथ योजना लागू कर दी थी. इसके बाद योजना के आठ गांव रिजलाय से रेवती के बीच की सभी तरह की अनुमति पर रोक लगा दी गई थी.
नगर निगम और टीएनसीपी द्वारा उक्त आठों गावों से अनुमति के सभी आवेदन निरस्त करने के पत्र जमीन मालिकों और कॉलोनाइजर को जारी कर दिए गए थे. वहीं सोशल मीडिया साइट्स पर बड़े ग्रुप गोदरेज के फार्म हाउस और प्लॉट के विज्ञापन चल रहे है. बकायदा बड़े ग्रुप द्वारा अहिल्या पथ योजना पर इंदौर उज्जैन रोड पर प्लॉट का उल्लेख कर रहे है. बताया जाता है कि अहिल्या पथ पर ही जिंदल ग्रुप ने भी जमीन ली है. मामला इतना चर्चित हो गया और दूसरी ओर किसानों ने भी अहिल्या पथ सड़क का विरोध करना शुरू कर दिया. कल अंततः शासन ने अहिल्या पथ सड़क के चौड़ाई और लंबाई में शामिल खसरों को छोड़कर बड़ी जमीन पर अनुमति देने के आदेश जारी कर दिए है.
आठ गांवों की जमीन से रोक हटाई
अनुमति देने के आदेश के बाद भी आईडीए ने किसानों की योजना में शामिल जमीन के बदले 50 प्रतिशत विकसित प्लॉट देने के अनुबंध करने का भी निर्णय लिया है। हालांकि यह नियम आईडीए में पहले से ही लागू है. पर उक्त योजना में मामला उलझा हुआ है, इसलिए किसानों को आश्वस्त किया है.
इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि अहिल्या पथ योजना लागू रहेगी. सड़क के लिए जो आठ गांव की जमीन पर रोक लगाई थी, वह हटाई गई है.
इनका कहना है
आईडीए सीईओ रामप्रकाश अहिरवार ने कहा कि अहिल्या पथ योजना लागू है. सड़क निर्माण के खसरों को छोड़कर बाकी जमीनों को फ्री करने का निर्णय लिया गया है. आठों गावों के लोग अहिल्या पथ मार्ग को छोड़कर बाकी जमीन के लिए आवेदन कर सकते है.