बदलते दौर में कानून और व्यवस्था की जरूरत ज्यादाः मुख्यमंत्री

न्यायधीशों की बौद्धिक संपदा संगोष्ठी

इंदौर: बदलते दौर में कानून और व्यवस्था की ज्यादा जरूरत होगी. न्याय से जुड़े जमीन , व्यापार और धन के मामले में कई चुनौतियां हैं. प्रदेश में न्यायधीशों के पद बढ़ाने के प्रस्ताव पर सरकार आपके साथ है. प्रदेश की आर्थिक स्थिति पांच साल में डबल कर देंगे.उक्त विचार प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने न्यायधीशों की बौद्धिक संपदा संगोष्ठी में व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि आज हम 21 वीं सदी को नॉलेज सदी मानकर चल रहे है। इसमें नई रिसर्च, आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ ज्ञान संपदा को निष्पादित करना है। गरीब और अमीर के बीच भेद नहीं करने वाला न्याय हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में न्याय संपदा नीति बनाकर देश को न्यायिक क्षेत्र में मजबूत करने का काम किया है। मध्यप्रदेश में आधुनिक न्याय धर्म में कानून और उसकी व्यवस्था बनाने में न्यायालय की भूमिका जरूरत पड़ेगी. सरकार उद्योगों की वित्तीय व्यवस्था के साथ आगे बढ़ रही है. बीस साल से न्याय विभाग में पद नहीं बढ़े हैं, आपकी संगोष्ठी के निर्णय में सरकार सहयोग करेगी. आने वाले पांच साल में प्रदेश की आर्थिक स्थिति डबल होगी. कार्यक्रम की शुरुआत में मध्यप्रदेश न्यायधीश प्राधिकरण संघ के कृष्णमूर्ति मिश्र ने मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और हाईकोर्ट प्रशानिक जज जस्टिस संजीव सचदेवा ने सुप्रीम कोर्ट जस्टिस जितेंद्र महेश्वरी, जस्टिस धर्माधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा का स्वागत किया और प्रतीक चिन्ह भेंट किया.

किसने क्या कहा.
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी ने कहा कि मध्य प्रदेश की न्याय दान प्रणाली अत्यंत सशक्त रूप से कार्य कर रही है जिसमें राज्य सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है. राज्य सरकार आगे भी इसी प्रकार न्याय दान की प्रक्रिया सुलभ बनाने में संसाधनों की व्यवस्था करती रहे ताकि न्यायपालिका अपना कार्य दृढ़ता से करती रहे.

दक्षिण एशिया की प्रतिनिधि गौरी कुमार ने संस्था की जानकारी देते हुए बताया कि भारत बौद्धिक सम्पदा संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

मध्य प्रदेश के एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने कहा कि बौद्धिक संपदा के संरक्षण के क्षेत्र में न्यायपालिका पूरे आत्मविश्वास और दृढ़ कदमों के साथ आगे बढ़ रही है.

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सतीश चन्द्र शर्मा ने अपने उद्बोधन से बौद्धिक संपदा अधिकार की संभावनाओं और चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला

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