*प्रदेश में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों पर मेडिकल टूरिज्म विकसित होगा – मुख्यमंत्री डॉ. यादव*
मुख्यमंत्री ने कहा – प्रदेश के प्रत्येक जिले में स्थापित होगा मेडिकल या आयुर्वेदिक कॉलेज
ग्वालियर/ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश में केरल की तरह प्राकृतिक तथा अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों पर मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा दिया जायेगा। मेडीकल टूरिज्म विकसित करने के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ग्वालियर में आयोजित हो रहे आरोग्य भारती के अखिल भारतीय प्रतिनिधि मंडल सम्मेलन के उदघाटन सत्र को समत्व भवन भोपाल से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोग्य भारती द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिए जा रहे अतुलनीय योगदान की सराहना की। साथ ही कहा कि इस सम्मेलन में विचार मंथन के बाद जो निष्कर्ष निकलेंगे, उन्हें मध्यप्रदेश में अपनाया जायेगा। साथ ही जन-जन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने, लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करने और रोगमुक्त समाज के निर्माण की योजना तैयार करने में आरोग्य भारती का सहयोग व मार्गदर्शन भी प्रदेश सरकार लेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आरोग्य भारती संस्था का अखिल भारतीय सम्मेलन मध्यप्रदेश में करने के लिए आभार जताया और देश भर से आए संस्था के प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में शनिवार से शुरू हुए आरोग्य भारती के दो दिवसीय प्रतिनिधि मंडल के सम्मेलन के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने की। कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के आयुर्वेद सलाहकार डॉ. कौस्तुभ उपाध्याय, लद्दाख से आए डॉ. पद्मा गुरूमेत, आरोग्य भारती के संरक्षक एवं देश के जाने-माने नेत्र चिकित्सक डॉ. प्रवीण भावसार, आरोग्य भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. राकेश पंडित, उत्तरप्रदेश से आए प्रतिष्ठित होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. बी एन सिंह एवं आरोग्य भारती संस्था के अन्य पदाधिकारी मंचासीन थे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आरोग्य भारती के अखिल भारतीय प्रतिनिधि मण्डल सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य संस्थाओं में 46 हजार 451 नए पदों को स्वीकृति प्रदान की गई है, साथ ही 800 आयुष आरोग्य मंदिरों का संचालन भी आरंभ हुआ है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज के साथ ही आयुर्वेदिक संस्थाओं की संख्या अभी ओर बढ़ेगी। प्रयास है कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में मेडिकल या आयुर्वेदिक कॉलेज अवश्य हो और इससे प्रदेशवासियों को इलाज के लिए प्रदेश से बाहर जाने की आवश्यकता न रहे।
*बालाघाट, शहडोल, सागर, मुरैना, नर्मदापुरम में आरंभ होंगे आयुर्वेद चिकित्सालय*
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में मंदसौर, नीमच और सिवनी में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय बनकर तैयार हो गए हैं, शीघ्र ही इनका लोकार्पण किया जाएगा। प्रदेशवासियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग को एक करने का निर्णया लिया गया। कोविड काल में रोग से बचने के लिए आयुर्वेदिक विधियों और आयुष काढ़े के प्रभाव से सभी परिचित हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से पाँच जिलों बालाघाट, शहडोल, सागर, मुरैना, नर्मदापुरम में जल्द ही आयुर्वेद चिकित्सालय आरंभ किए जाएंगे। राज्य सरकार की आयुर्वेदिक चिकित्सालयों को प्रोत्साहित करने की योजना के अंतर्गत समाज के लोगों द्वारा आरंभ किए गए चिकित्सालयों को भी प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। जनजातीय क्षेत्रों में औषधीय खेती को प्रोत्साहित करने के लिए देवारण्य योजना का संचालन किया जा रहा है। औषधीय वनस्पतियों के बारे में जागरूकता फैलाने और उनकी मार्केटिंग के लिए हर साल लघु वनोपज मेले भी आयोजित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वस्थ राष्ट्र के लिए स्वस्थ ग्राम, स्वस्थ ग्राम के लिए स्वस्थ परिवार और स्वस्थ परिवार के लिए स्वस्थ व्यक्ति होना आवश्यक है। यह प्रसन्नता का विषय है कि आरोग्य भारती समाज में स्वास्थ्य संरक्षण और स्वास्थ्य जागरण के साथ ही शोध आधारित कार्य भी कर रही है। भारतीय परंपरा में पहला सुख निरोगी काया के सिद्धांत को मानते हुए स्वास्थ्य को ही सबसे बड़ा धन माना गया है। आरोग्य भारती संस्था द्वारा समाज में स्वस्थ जीवनशैली अपनाते हुए रोगमुक्त जीवन जीने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है, जो अभिनंदनीय है।