करोड़ों रुपए हो गए मटिया मेट
जबलपुर: शहर के एनएमटी यानी नॉन मोटराइज्ड ट्रैक पर पैदल चलने, बच्चो के खेलने कूदने का सपना सच होने का नाम नहीं ले रहा है। और नौदरा पुल में एमटी के सामने लगे रेट गिट्टी के ढेर और लाइन से प्रदर्शनी जैसी सजी दो पहिया वाहनों को देखकर यह सपना पूरा होने में अभी लम्बा इंतजार समझ में आ रहा है। एनएमटी आसान शब्दों में वह जगह है जहाँ रोज की भाग-दौड़ की ज़िंदगी थमी नजर आती है। वहाँ तेज कारें नहीं बल्कि साइकिलें होती हैं, पैदल चलते लोग होते हैं और पेड़ पौधे होते है लेकिन नौद्रा पुल से पुराने बस स्टैंड के बीच बनी एनएमटी से यह सब गायब है।
सारी एनएमटी हुई खस्ता
जबलपुर शहर में सबसे पहले नर्मदा रोड पर एनएमटी बनाई गई थी जो अब उजड़ चुकी है। इस एनएमटी पर जगह-जगह कब्जी हो चुके थे। नर्मदा रोड के दोनों ओर बनी एनएमटी की लम्बाई 11 किलोमीटर थी। फिर भातखंडे संगीत महाविद्यालय से पुराने बस स्टैंड तक 1.2 किलोमीटर की एनएमटी का निर्माण किया गया था जिसकी लागत में लगभग 7 करोड रुपए खर्च किए गए थे। और नौद्रा पुल से बस स्टैंड के बीच बनी 750 मीटर की एनएमटी के सामने रेट गिट्टी एवं गाड़ियों की कतार लगी है। और अंत में नौद्रा पुल से घोड़ा अस्पताल तक एनएमटी का निर्माण दो हिस्सों में किया गया जो पहले नौद्रा पुल से घंटाघर एवं बाद में घंटाघर से घोड़ा अस्पताल तक बनाई गई।
कही टूटी रेलिंग तो कही पड़ा मलवा
स्मार्ट सिटी योजना से शहर में बनी एनएमटी जो नर्मदा रोड के दोनों ओर बनी थी जिसकी कुल लम्बाई 11 किलोमीटर और लगभग 4 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई थी। अब यह एनएमटी दुर्दशा को प्राप्त हो चुकी है। इसे एनएमटी कहने में भी अब अच्छा नहीं लगता है आलम यह है कही रेलिंग टूटी है तो कहीं अंदर दाखिल होने के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहे हैं।
यह सुविधाएँ मिलनी थी
शहर की एनएमटी में साइकिल चलाने की जगह, पैदल चलने के लिए पाथ-वे, दिव्यांगों के लिए रैम्प, प्लेइंग जोन, गार्डन, बुजुर्गों के लिए गार्डन, बैठने की व्यवस्था, ओपन जिम के साथ ही मनोरंजन के कई अन्य साधन होंने थे। ऑक्सीजन पर्याप्त हो इसके लिए पौधारोपण भी किया जाना था। लेकिन हकीकत में आज स्थिति कुछ और ही है।
इनका कहना है
आपके द्वारा मुझे यह जानकारी मिली है इस पर तत्काल एक्शन लिया जाएगा और सारी एनएमटी व्यवस्थित की जाएगी।
प्रीति यादव, कमिश्नर, नगर निगम