ढाका, 19 सितंबर (वार्ता) बंगलादेश की अंतरिम सरकार ने देश में कानून-व्यवस्था में सुधार और “विघटनकारी गतिविधियों” को रोकने के लिए सेना को दो महीने के लिए मजिस्ट्रेट की शक्तियां दी हैं।
यह फैसला एक प्रमुख मीडिया आउटलेट द्वारा “असाधारण उपाय” बताया गया है, लेकिन इसके व्यापक दायरे और इसके संभावित “दुरुपयोग” को लेकर चिंताएं भी व्यक्त की गई हैं।
यह निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है, जो सैन्य अधिकारियों को पूरे देश में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य करने और अगले 60 दिनों के लिए इस पद को प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। इन शक्तियों का उपयोग करके, वे अब संदिग्ध अपराधियों को गिरफ्तार कर सकते हैं या गिरफ्तारी का आदेश दे सकते हैं, तलाशी ले सकते हैं, गैरकानूनी सभाओं को तितर-बितर कर सकते हैं और चरम स्थितियों में घातक बल का उपयोग भी कर सकते हैं।
बांगलादेशी अंग्रेजी दैनिक ‘द डेली स्टार’ ने अपने संपादकीय में कहा, “राष्ट्र में इस असाधारण समय को ध्यान में रखते हुए यह एक असाधारण उपाय है, पुलिस अभी भी सड़कों पर बहुत कम है और विभिन्न विध्वंसक और आपराधिक गतिविधियों की चिंता बनी हुई है, जबकि दिन-प्रतिदिन कानून प्रवर्तन में सेना की भागीदारी व्यवस्था बहाल करने के लिए एक आवश्यक कदम बन सकती है।”
अखबार ने हालांकि, कहा कि यह कदम अपने साथ न केवल महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां बल्कि संभावित जोखिम उत्पन्न करता है जिन्हें सावधानीपूर्वक संचालित करने की आवश्यकता है
अखबार के अनुसार, “हालांकि अशांति “अधिकांशतः शांत” हो गई है, लेकिन कानून प्रवर्तनकर्ताओं की घटी हुई क्षमता पुलिस अभियानों पर असर डाल रही है। शक्तियों के व्यापक दायरे और उनके संभावित दुरुपयोग ने कुछ चिंताएं उत्पन्न की है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ऐसी शक्तियां बहुत जिम्मेदारी लेकर आती हैं। इसलिए, हम उनका निष्पादन बहुत सावधानी और सतर्कता के साथ करने का आग्रह करते हैं।”
संपादकीय में कहा गया, “भविष्य में सशस्त्र बलों की छवि और ईमानदारी के साथ-साथ नागरिकों का उन पर भरोसा बहुत हद तक उनके नए अधिकार का उचित और विवेकपूर्ण उपयोग पर निर्भर करेगा। इन शक्तियों का किसी भी तरह का दुरुपयोग जनता के विश्वास को खत्म कर सकता है और नागरिकों के साथ अनावश्यक टकराव का कारण बन सकता है।” अखबार ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि यह उपाय अस्थायी होना चाहिए लेकिन विशेष शक्तियों वाली सेना की तैनाती को पुलिस या नागरिक अधिकारियों की जगह पर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि असाधारण स्थिति से निपटने के लिए एक अस्थायी उपाय रूप में देखा जाना चाहिए।
अखबरा ने कहा, “सेना को इन कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए जितना अधिक समय दिया जाएगा, सैन्य और नागरिक कार्यों के बीच की रेखाओं का धुंधला होने का जोखिम उतना ही अधिक होगा। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि पुलिस बल को जल्द से जल्द पूरी तरह से सक्रिय किया जाए जिससे हम सामान्य स्थिति में लौट सकें।”
उल्लेखनीय है कि बंगलादेश में 16 वर्ष पुरानी अवामी लीग की सरकार हिंसक छात्र विद्रोह के कारण गिर गई थी और प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत की शरण ली। श्रीमती हसीना के इस्तीफे के बाद प्रदर्शनकारियों ने गणभवन और संसद भवन में प्रवेश किया, जहां उन्होंने लूटपाट और तोड़फोड़ की। कई मंत्रियों और सांसदों को गिरफ्तार किया गया और कई अन्य ने देश छोड़ने की कोशिश की।आंतरिक सरकार ने कई पूर्व मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं, और उनके पासपोर्ट रद्द कर दिए गए हैं। इसके अलावा, कई स्थानीय अधिकारियों ने अपने पद छोड़ दिए हैं और कई शहरों में सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।
इसके बाद आठ अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली।श्रीमती हसीना के इस्तीफे के बाद देश भर में अशांति फैल गई, जिससे पुलिस बल का मनोबल भी गिर गया। व्यापक हिंसा, लिंचिंग और लूटपाट की खबरें थीं।