नयी दिल्ली,13 सितंबर (वार्ता) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्र को स्वहित और राजनीतिक मतभेदों से ऊपर रखने का आह्वान करते हुए शुक्रवार को कहा कि किसी भी स्थिति में राष्ट्रवाद से समझौता नहीं किया जाना चाहिए और शत्रुओं को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए।
श्री धनखड़ ने राजस्थान के अजमेर में राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी हालत में दुश्मन के हित को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा, “ दुखद विषय है, चिंता का विषय है, चिंतन का विषय है, मंथन का विषय है कि अपने में से कुछ भटके हुए लोग संविधान की शपथ के बावजूद भारत मां को पीड़ा दे रहे हैं। राष्ट्रवाद के साथ समझौता कर रहे हैं। राष्ट्र की परिकल्पना को समझ नहीं पा रहे हैं। पता नहीं कौन से स्वार्थ को ऊपर रख कर भारत मां को लहुलुहान करना चाहते हैं। हमारे भारत को कोई सुई भी चुभेगी, तो 140 करोड़ लोगों को दर्द होगा।”
उप राष्ट्रपति ने कहा कि हर भारतीय देश के बाहर कदम रखता है तो वह भारतीय राष्ट्रवाद का राजदूत है। भारतीय संस्कृति का राजदूत है। इसको पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रतिपक्ष के नेता के रूप में प्रमाणित किया है। उन्होंने कहा, “ प्रधानमंत्री दूसरे दल के थे, कांग्रेस पार्टी के थे, नरसिम्हा राव जी थे, भारत का नेतृत्व विदेश में एक महत्वपूर्ण संवेदनशील मुद्दे पर, कश्मीर से जुड़े मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी ने किया वह प्रतिपक्ष के नेता थे।”
श्री धनखड़ ने कहा कि देश के अंदर या बाहर ऐसा काम नहीं करना चाहिए तो देश के साथ उपयुक्त आचरण नहीं है।भारतीय राष्ट्रवाद को बढ़ावा नहीं देता है, राष्ट्रवाद को कुंठित करता है। उन्होंने कहा, “ हमारे सपने पूरे करो, दुश्मनों के सपने पूरे करने में क्यों लगे हुए हो। इतिहास ने उनको कभी माफ नहीं किया है जिन्होंने देश के साथ ऐसा आचरण किया है।”
उन्हाेंने कहा कि मूल अधिकारों के साथ-साथ मूल कर्तव्यों पर भी बात करना अति आवश्यक है।भारतीय संविधान के चौथे भाग में नीति निर्देशक सिद्धांत हैं। इसमें भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कुरुक्षेत्र में उपदेश देने का चित्र हैं। उन्होंने कहा, “ वह उपदेश है, एकाग्रता से, बिना भटके हुए, बिना रिश्तों को देखे हुए लक्ष्य प्राप्ति करो। और हमारे लक्ष्य क्या हैं? हमारा राष्ट्रवाद। हमारा लक्ष्य है, हमारा भारत। ”
श्री धनखड़ ने कहा कि पिछले 10 साल में पारदर्शी और उत्तरदायित्वपूर्ण शासन व्यवस्था मिली है और कोई कानून से ऊपर नहीं है। लेकिन कुछ लोगो को इससे छटपटाहट है और परेशानी है। उन्होंने कहा, “ राजनीति इस तरीके से हावी हो गई उन पर कि वे राष्ट्र को भूल गए, राष्ट्रहित को भूल गए, और भूलना तो छोड़िए, राष्ट्रहित पर कुठाराघात करने लगे। विदेश में करने लग गए, उन लोगों से मिलकर करने लग गए । जगजाहिर हैं उनकी करतूतिया -उनके साथ बैठना, उनके साथ चिंतन करना। हमारे दिल पर क्या गुजरी होगी, मैं अंदाजा लगा सकता हूं। ईश्वर उनको सद्बुद्धि दे।”
उप राष्ट्रपति ने कहा, “ मेरे पद पर मेरा काम राजनीति करना नहीं है। राजनीतिक दल अपना-अपना काम करें। राजनीतिक दल अपनी विचारधारा के अनुरुप काम करने के लिए स्वतंत्र हैं। विचारधारा अलग-अलग होगी, शासन के प्रति रवैया अलग-अलग होगा। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। पर एक बात में समानता होगी, राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र भावना को कुंठित नहीं कर सकते हैं। राष्ट्र के मनोबल को कमजोर नहीं कर सकते हैं। राष्ट्र को चुनौती, आएगी हम सब एक हैं। हमारा कुछ भी रंग हो, कुछ भी धर्म हो, कुछ भी जाति हो, कुछ भी संस्कृति हो, कुछ भी शिक्षा हो। ”
उन्होंने कहा,“ पीड़ा का विषय बन गया है। दुनिया के लोग हम पर हंस रहे हैं कि संवैधानिक पद पर एक व्यक्ति बैठा है, विदेश के अंदर ऐसा आचरण कर रहा है कि अपने संविधान की शपथ को भूल गया, देशहित को नजरअंदाज कर दिया, हमारी संस्थाओं की गरिमा पर कुठाराघात कर दिया।”