ननि के पार्षदों में आए अविश्वास के संकट से जूझ रही भाजपा और काग्रेस

भाजपा ने दो पार्षदों को रातोरात राजधानी ले जाकर दिलाई सदस्यता

सतना।नगर निगम परिषद में विपक्षी पार्षदों द्वारा दिए गए परिषद अध्यक्ष के अविश्वास के प्रस्ताव के संकट से फिलहाल दोनों दल जूझ रहे हैं.परिषद में अभी तक पूर्ण बहुमत का दावा करने वाली प्रदेश की ट्रिपल इंजन की सरकार वाली भाजपा ने एक कदम आगे चलकर दो विपक्षी पार्षदों को अचानक राजधानी ले जाकर सदस्य्ता दिला दी.

मिली जानकारी के अनुसार नगर सरकार में अभी तक पूर्ण बहुमत का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को अचानक अपना पक्ष मजबूत करने के उद्देश्य से बड़ा खेल करते हुए अविश्वास प्रस्ताव की सूचना पर हस्ताक्षर करने वाले 18 काग्रेस पार्षदों में से दो को रातोरात राजधानी ले जाकर भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिला दी.

इस मामले में गौर करने वाला तथ्य यह है कि कुछ महीने पहले विधायक खेमे के माने जा रहे दो पार्षदों को महापौर योगेश ताम्रकार और अध्यक्ष राजेश चतुर्वेदी पालन ने भोपाल ले जाकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलाई थी. तब यह कहा जाने लगा था कि परिषद में भाजपा का बहुमत हो गया है. फिलहाल 28 पार्षदों के समर्थन का दावा करने वाली सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी अविश्वास प्रस्ताव मंजूर होने के पहले तक कितने पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल कर लेगी इसको लेकर तरह-तरह के कयास चल रहे हैं.

काग्रेस के बगावती तेवरों के चले अभी भी यह माना जा रहा है कि भाजपा पार्षदों के असंतुष्ट गुट का काग्रेस को अंदरूनी समर्थन मिल रहा है. जिसके चलते यदि अविश्वास प्रस्ताव को फ्लोर टेस्ट के लिए स्वीकार कर लिया गया तो भाजपा को विश्वास का संकट झेलने के लिए विवश होना पड़ सकता है.

 

काग्रेस ने प्रस्ताव स्वीकृति में देरी को राजनीति से प्रेरित बताया

काग्रेस पार्षदों के अचानक गायब होने के बाद से सक्रिय काग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा,काग्रेस के शहर अध्यक्ष मकसूद अहमद और नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष रावेंद्र सिंह मिथलेश ने संयुक्त पत्रकार वार्ता कर कलेक्टर के निर्णय लेने में विलंब पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है. उनका कहना है कि नगर निगम अधिनियम में कही भी इस बात का उल्लेख नही है कि कलेक्टर हस्ताक्षर तस्दीक के लिए पार्षदों को आमंत्रित करने के बाद अविश्वास की सूचना पर कोई निर्णय लेंगे .उन्होंने कहा कि प्रावधानों के तहत एक पार्षद भी यदि लिखित तौर पर हस्ताक्षर सहित कोई आवेदन देता है तो उस पर उन्हें निर्णय लेना चाहिए. प्रस्ताव देने के बाद अपना निर्णय सुनने में बिलम्ब कर कलेक्टर सत्तारूढ़ दल को अनैतिक लाभ पहुचाने की दृष्टि से समय ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे पार्षदों के खरीद फरोख्त की संभावना बढ़ गई है. जिस प्रकार काग्रेस की आदिवासी पार्षद को अपहरण कर भोपाल ले जाया गया है इसकी जांच होनी चाहिए .नेताओ ने बताया कि पार्षद के गायब होने की प्राथमिकी कोलगवां थाने में बीती रात दर्ज कराई गई है. साथ ही पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख कर काग्रेस के पार्षदों की सुरक्षा की मांग की गई है. विधायक ने कहा कि यदि प्रशासन अविश्वास प्रस्ताव को अभी टालने में कामयाब हो गया तो वो और उनका दल आगे फिर कोशिश करेगा.

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