गोरखपुर, 5 सितंबर (वार्ता) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि एक शिक्षक ट्रेड यूनियन का हिस्सा नहीं हो सकता है, उसे बनना भी नहीं चाहिए। यह शिक्षक की गरिमा के प्रतिकूल है।
शिक्षक दिवस पर बेसिक और माध्यमिक शिक्षा के उत्कृष्ट शिक्षकों को राज्य पुरस्कार वितरित करने के बाद अपने संबोधन में उन्होने कहा कि शिक्षक जब भी अपने आप को ट्रेड यूनियन बनाने का प्रयास करेंगे तो अपने सम्मान के साथ स्वयं खिलवाड़ करेंगे।
उन्होने बेसिक शिक्षा विभाग के 41 और माध्यमिक शिक्षा विभाग के 13 शिक्षकों (कुल 54) को पुरस्कृत किया गया। सभी शिक्षकों को मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से पुरस्कृत किया। एक शिक्षक अलीगढ़ के मूलचंद के पैर में चोट होने का चलते मुख्यमंत्री ने खुद उनके पास जाकर पुरस्कृत किया।
मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से कहा कि अपनी मांग को रखने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से हैं। आज तो डिजिटल माध्यम से ईमेल से भी मांगपत्र भेजे जा सकते हैं। अधिकारियों को भेजने के साथ या उसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय को भी भेजा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि सरलता से लिखा हुआ, मुद्दों पर आधारित आपका ज्ञापन आदेश होगा, भीख नहीं होगी और शिक्षक को आज के समय में भीख मांगना अच्छा नहीं है।
योगी ने कहा कि भारत हमेशा से गुरु परम्परा को सम्मान देने वाला देश रहा है। हमारे शास्त्र ‘गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णुः’ के मंत्र से गुरु के प्रति श्रद्धा का भाव दर्शाते हैं। संत कबीरदास जी ने ‘गुरु-गोविंद दोऊ खड़े’ के उद्धरण से गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया है। गुरु के प्रति श्रद्धा का भाव इसलिए है कि बिना श्रद्धा के ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। हमारे यहां कहा भी गया है, श्रद्धावान लभते ज्ञानम्। और जो ज्ञानी नहीं हो सकता वह जीवन में कुछ नहीं कर सकता।
उन्होने कहा कि एक शिक्षक समाज की श्रद्धा का केंद्र होता है लेकिन श्रद्धावान बनने के लिए कठिन परिश्रम, साधना करनी पड़ती है। केवल डिग्री लेने से ज्ञान नहीं आता, इसके लिए कठिन साधना भी जरूरी है। साधना का मार्ग कठिन जरूर होता है लेकिन उसके परिणाम सर्वोत्तम आते हैं। साधना से तपे कार्य के परिणाम उत्कृष्ट आते हैं। इसलिए शिक्षकों को कठिन साधना के मार्ग से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। एक व्यक्ति अचानक शिक्षक नहीं बन जाता है, उसे निरंतर अभ्यास से गुजरना पड़ता है। अपने छात्रों के लिए उसे समझाने का सरलतम तरीका सोचना पड़ता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों की उत्कृष्ट सेवा, नवाचार और उनके अनुभवों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है कि इन पुरस्कृत शिक्षकों की सेवा एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल ऑफ़ एजुकेशनल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग) के पाठ्यक्रमों और पुस्तकों के लिए जी जाए। बच्चों को सरलता से विषय वस्तु समझाने के लिए इन शिक्षकों के अनुभव बहुत सहायक होंगे।
उन्होने कहा कि इन शिक्षकों को शिक्षा सेवा चयन आयोग में भी प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। शिक्षक जब नवाचार से जुड़ेंगे तो उसका लाभ बच्चों को होगा। उन्होंने कहा कि अच्छा शिक्षक वही है जो किसी पाठ में प्रस्तावना और निष्कर्ष सरलता से समझा दे। बच्चे को सार समझ में आ गया तो वह पूरा पाठ समझ लेगा। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे सरल नियम, सूत्र, मुहावरा, लोकोक्ति, कविता तैयार कर और उद्धरणों से बच्चों को सहजता से पढ़ाएं-समझाएं। पढ़ाने का नया-नया तरीका खोजें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने नई मंजिल तय की है। इसके अनुरूप हमें परंपरागत पाठ्यक्रम ही नहीं नवाचार की भी आदत डालनी चाहिए। नवाचार आसानी से हर एक फील्ड में हो सकता है। झांसी की एक बेटी द्वारा कोरोना काल में घर की छत ओर स्ट्राबेरी की खेती करने और बाराबंकी के एक किसान द्वारा ड्रैगन फ्रूट की खेती के नवाचार का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि जब एक व्यक्ति कुछ नया, कुछ अनूठा करता है तो पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल जाती है। उन्होने कहा कि शिक्षक देश के भविष्य निर्माता हैं इसलिए भी उन्हें नवाचार पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसकी शुरुआत स्कूल से ही की जा सकती है। शिक्षक बच्चों और अभिभावकों को साथ लेकर विद्यालय के वातावरण को स्वच्छ, सुंदर और हराभरा बना सकते हैं। इसी विद्यालयों के वातावरण को आध्यात्मिक बनाने की दिशा में भी प्रयास की जा सकते हैं। प्रतिदिन प्रार्थना सभा में श्रीमद्भागवत गीता या रामचरितमानस के उद्धरणों पर पांच मिनट का संबोधन बच्चों के बीच हो सकता है। ऐसे प्रयासों से बच्चों के मन मस्तिष्क पर आजीवन अच्छी छाप बनी रहेगी।