कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर द्वारा अध्ययन
~ मुँह का कैंसर सबसे ज़्यादा पाया जाता है, उसके बाद स्तन और फेफड़ों के कैंसर
~ कैंसर के खिलाफ लड़ने का सबसे बड़ा उपाय है बीमारी का जल्द से जल्द पता चलना और इलाज
~ कैंसर सर्जरी में फ्रोज़न सेक्शन का उपयोग करने से कैंसर बार-बार होने की संभावना कम होती है और इलाज से मरीज़ों को मिलने वाले परिणामों में सुधार होता है
स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ी चुनौती वाले कैंसर पर कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल इंदौर ने 18 महीनों तक गहन अध्ययन किया। जनवरी 2023 से जनवरी 2024 तक किए गए कैंसर केसेस के विश्लेषण से शहर में कैंसर केसेस की तादात, प्रकार और कैंसर से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले आयु वर्गों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हाथ आयी है।
महत्वपूर्ण निष्कर्ष
डॉ. शिल्पी दोसी, कन्सल्टेन्ट, पैथोलॉजी के द्वारा बायोप्सी सैंपल और सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए अस्पताल में आए मरीज़ों के विश्लेषण किए गए। इस विश्लेषण में 1100 सैंपल में से 405 घातक साबित हुए। सबसे ज़्यादा यानी 45% केसेस मुँह के कैंसर के थे, जिनका सबसे बड़ा कारण तंबाकू सेवन था। उसके बाद स्तन कैंसर के 15% और फेफड़ों के कैंसर के 13% केसेस थे। साथ ही कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, सॉफ्ट टिश्यू ट्यूमर, ओव्हरियन ट्यूमर और लिम्फोमा आदि कैंसर भी पाए गए।
अध्ययन में लैंगिक असमानता स्पष्ट रूप से दिखाई दी, पुरुष-महिला रेशो 2.1:1 पाया गया, यानी पुरुषों में कैंसर के मामलें ज़्यादा पाए गए हैं। सबसे अधिक मामले 41-60 आयु वर्ग में मिले। महिलाओं में कैंसर के मामलें बढ़ने का सबसे बड़ा कारण स्तन कैंसर का बढ़ना है। ज़्यादातर 41-60 आयु वर्ग की महिलाएं स्तन कैंसर की चपेट में आ जाती हैं।
बीमारी का जल्द से जल्द पता लगाने और इलाज का महत्व
अध्यन में पाया गया कि मुँह के कैंसर के ज़्यादातर केसेस का निदान चरण T4 में किया गया था। इस चरण में बीमारी काफी ज़्यादा बढ़ चुकी होती है। स्तन कैंसर के ज़्यादातर मरीज़ चरण T2 में अस्पताल में आए यानी निदान के समय ट्यूमर का आकार 2 सेमी से 5 सेमी के बीच था। टिश्यू बायोप्सी की कमी और बीमारी को टीबी समझ लेने की गलती करने से फेफड़ों के कैंसर के कई केसेस का निदान नहीं हो पाता है। डेटा से यह भी पता चला है कि प्रोस्टेट कैंसर का निदान भी काफी देर से होता है।
इन निष्कर्षों से पता चलता है कि जल्द से जल्द जांच और समय पर इलाज कराना बहुत ज़रूरी है। देर से निदान की दर काफी ज़्यादा है, जो अधिक जागरूकता और नियमित रूप से जांच की आवश्यकता को दर्शाती है। खासकर वयस्कों को नियमित रूप से जांच करवाना, बीमारियों के लक्षणों के बारे में सचेत रहना बहुत ज़रूरी है।
फ्रोज़न सेक्शन एनालिसिस – एक गेम चेंजर
कैंसर के अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों में पाया गया कि कैंसर को दोबारा और बार-बार सर्जरी की आवश्यकता को कम करने में फ्रोज़न सेक्शन टेक्निक की महत्वपूर्ण भूमिका है । कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर में फ्रोज़न सेक्शन तुरंत करने के लिए अत्याधुनिक क्रायोस्टाट (Cryostat) मशीनें हैं।
कैंसर पूरी तरह से निकाले नहीं जाने के कारण कुछ कैंसर सेल्स सर्जिकल मार्जिन के परे रह जाती हैं, जिसकी वजह से कैंसर बार-बार होते रहता है। फ्रोज़न सेक्शन टेक्निक में पैथोलॉजिस्ट सर्जरी के दौरान ही सर्जिकल मार्जिन की जल्दी से जांच करके देखा जाता है कि क्या सारा कैंसर हटा दिया गया है। इससे सर्जन को वास्तविक प्रतिक्रिया मिलती है, उन्हें यह तय करने में मदद मिलती है कि उन्हें तुरंत और अधिक टिश्यू निकालने की आवश्यकता है या नहीं और दोबारा सर्जरी की आवश्यकता से बचा जा सकता है। यह तकनीक विशेष रूप से स्तन-संरक्षण सर्जरी में फायदेमंद है। इस सर्जरी का लक्ष्य है जितना संभव हो उतना स्वस्थ टिश्यू को संरक्षित करते हुए ट्यूमर को हटाना होता है।
हमारा लक्ष्य – मरीज़ों को सशक्त बनाना
कैंसर एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इसका शीघ्र पता लगाने, समय पर, सही दृष्टिकोण के साथ, प्रभावी ढंग से इलाज करने से इस पर विजय हासिल की जा सकती है। कैंसर के मामलों के व्यापक अध्ययन में पता चला है कि मुँह, स्तन और फेफड़ों के कैंसर के मामलें काफी ज़्यादा हैं। नई तकनीक और ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञता के साथ-साथ उन्नत फ्रोज़न सेक्शन एनालिसिस करके सभी मरीज़ों को सर्वोत्तम देखभाल, बेहतर परिणाम प्रदान किए जा सकते हैं। कैंसर बार-बार होने की संभावना को कम किया जा सकता है। कैंसर की जोखिम पैदा करने वाले कारणों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, नियमित जांच को बढ़ावा देकर, समय पर और प्रभावी इलाज करके और फ्रोज़न सेक्शन जैसे उन्नत डायग्नोस्टिक्स टूल्स का उपयोग करके, हम रोगियों को अपने स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखने के लिए सशक्त बना सकते हैं। उत्कृष्टता की विरासत और मरीज़ों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, हमें पूरी आशा है कि, कैंसर पर इलाज करके जीत हासिल की जा सकती है।