भारतीय ज्ञान परंपरा के पांच संदेश से युवा बन सकेगा राष्ट्र पुरुष
इंदौर:युवा विचारक एवं चिंतक हरिदास यशवंत ने कहा है कि भारतीय ज्ञान परंपरा में दिए गए पांच संदेश को अपनाने से हमारे देश का युवा आने वाले समय का राष्ट्र पुरुष बन सकता है. हमारे देश के युवाओं को प्रश्न पूछने की अपनी आदत को न केवल कायम रखना होगा बल्कि उसे और विकसित करना होगा.वे आज अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित 63 वीं व्याख्यात माला में संबोधित कर रहे थे. उनका विषय था भारतीय ज्ञान परंपरा का युवाओं को संदेश. उन्होंने कहा कि भारत शब्द का मतलब होता है तेज के साथ में रहना. वह तेज हमारी भूमि पर ग्रंथ, विद्या, कला, वेशभूषा, भाषा, परंपरा और संस्कृति का है. इस तेज में से किसी भी विद्या का संरक्षक और संवर्धन का कार्य करना है.
जिस व्यक्ति के पास इस तेज में से किसी भी विधा का भी साथ है वहीं भारतीय है. भारत एक विचार है जमीन का टुकड़ा नहीं. उन्होंने कहा कि ज्ञान से आशय उस जानकारी से है जो हमें एकात्मता की ओर ले जाती है. हमारा ज्ञान कहता है कि किसी भी बात को सुनो समझो और फिर जियो. जिस व्यक्ति में सीखने की प्रवृत्ति है वही युवा है. उसकी उम्र चाहे कुछ भी हो लेकिन सीखने की आदत उसे हमेशा युवा बना कर रखती है. इस सीखने की आदत में संकल्प होता है और यह संकल्प ही आज के दौर के हिसाब से गोल सेटिंग कहलाता है. ऐसे में हमें जब भी जो भी सुनना है उसे बहुत ध्यान से सुनना है. कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि का स्वागत किशन सोमानी और ईशान श्रीवास्तव ने किया. अतिथि को स्मृति चिन्ह डॉ शंकर लाल गर्ग ने भेंट किया.