आशा कार्यकर्ता को मिली हाईकोर्ट से राहत
जबलपुर। निर्धारित योग्यता के बावजूद भी आशा कार्यकर्ता के पद से हटाये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि निर्धारित योग्यता रखने वाली याचिकाकर्ता थी। कोई अन्य उम्मीदवार निर्धारित योग्यता नहीं रखता था। एकलपीठ ने उसे पद से हटाये जाने के आदेश को निरस्त कर दिया।
याचिकाकर्ता श्रीमती फूलवती प्रजापति की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि सीधी जिले के बागौरी ग्राम में उसे ब्लॉक मेडिकल अधिकारी के आदेशानुसार आशा कार्यकर्ता के रूप में पदस्थ किया गया था। बिना किसी कारण उसे पद से हटा दिया गया। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि एसटी व एससी वर्ग की 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या होने पर उस समुदाय के व्यक्ति को नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाती है। ग्राम बागौरी में एसटी समुदाय के 246, एससी समुदाय के 29 तथा ओबीसी वर्ग के 68 लोग हैं। याचिकाकर्ता एससी वर्ग से आती है, इसलिए उन्हें पद से हटाया गया है।
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि निर्धारित योग्यता के अनुसार आशा कार्यकर्ता के लिए 10 वीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है। निर्धारित योग्यता के उम्मीदवार नहीं होने पर विशेष परिस्थितियों में 8 वीं उत्तीर्ण उम्मीदवार पर विचार किया जायेगा। आवेदन करने वाली एसटी वर्ग की अन्य महिला सिर्फ आठवीं पास थी और याचिकाकर्ता 12 वीं पास है। याचिकाकर्ता निर्धारित से अधिक योग्यता रखती है। उसके अलावा निर्धारित योग्यता रखने वाला कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को राहत प्रदान करते हुए पद से हटाये जाने के आदेश को निरस्त कर दिया।