जंगली हाथियों के लिए नहीं है एक्सपर्ट ट्रेनर

हाईकोर्ट ने दिये केरल स्थित कोडानाड हाथी प्रशिक्षण केंद्र के डायरेक्टर को वीडियो क्रांफेस के माध्यम से उपस्थिति के निर्देश

 

जबलपुर। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने दायर याचिका की सुनवाई करते हुए केरल स्थित कोडानाड हाथी प्रशिक्षण केंद्र के डायरेक्टर को वीडियो क्रांफेसिंग के मध्यम से उपस्थित के निर्देश दिये हैं। युगलपीठ ने प्रदेश में पिछले तीस सालों में पकडे गये हाथियों के संबंध में सरकार को समय प्रदान करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 12 सितम्बर को निर्धारित की है।

याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में आते हैं। इस दौरान हाथियों के झुंड भोजन की तलाश में किसानों की फसल बर्बाद कर देते हैं, लोगों के घरों को तोडते हैं। कई घटना में जंगली हाथियों ने लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया है और उनकी जान भी ली है।

याचिका में कहा गया है कि प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट वाइल्ड लाइफ के आदेश पर ही हाथियों को पकडा जा सकता है। जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आता है। जंगली हाथियों को पकड़ने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व भेज दिया जाता है। टाइगर रिजर्व में उन्हें ट्रेनिंग देकर सुरक्षा में लगा देता है। ट्रेनिंग के दौरान जंगली हाथियों को कई तरह की यातना दी जाती है। याचिका में कहा गया है कि केन्द्रीय पर्यावरण विभाग की गाइड लाइन के अनुसार जंगली हाथियों को पकडकर उनका उपयोग किया जाना अंतिम विकल्प माना गया है। इसके विपरीत मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। जंगली हाथियों के पुनर्वास के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने विगत तीस सालों में पकडे गये जंगली हाथियों का ब्यौरा पेश करने के निर्देश सरकार को दिये थे।

याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से ब्यौरा पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि प्रदेश में हाथियों को ट्रेनिंग देने के लिए कोई एक्सपर्ट ट्रेनर नहीं है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त निर्देश जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।

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