खेलों में राजनीति नहीं होना चाहिएः संजयसिंह

वर्चस्व खत्म करने को लेकर ही इतना धरना आंदोलन हुआ

वीरेंद्र वर्मा

इन्दौर. बिना ट्रायल के सीधे भेजने और दूसरे राज्य से भी अपने खिलाड़ी भेजने के वर्चस्व को खत्म किया है. उसी को लेकर तो षड्यंत्र रचा गया है, धरने और आंदोलन किए है. विनेश का परिणाम आपके सामने है, आपके राज्य के शिवानी जाधव का हक मार कर गई थी. जाधव को उसके वजन में श्रेष्ठ खिलाड़ी थी और ओलंपिक मेडल भी सौ प्रतिशत लाती और देश का नाम ऊंचा होता. कुश्ती संघ इंदौर और उज्जैन से जुड़े शहरों को लेकर एकेडमी खोलने की तैयारी कर रहा है. खेलों में राजनीति नहीं होना चाहिए , जो काबिल और हकदार है, जिसने ट्रायल पास किया है. उस खिलाड़ी को भेजना हमारा लक्ष्य है. कुश्ती में भी पारदर्शिता लाने का विरोध किया जा रहा है. यह बात भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष संजयसिंह ने नवभारत से कही. उनसे हुई बातचीत के अंश निम्न है-

– बीस साल पहले और आज की स्थिति में देश में कुश्ती जैसे खेल का स्थान कहां पर है ?
भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रयासों से बीस साल पहले और आज में बहुत अंतर है. आज पिछले चार ओलंपिक से हम लगातार मेडल ला रहे है। पांचवें ओलंपिक में भी मेडल आया है. कुश्ती के स्तर में बहुत सुधार आया है.

– खेलों में राजनीति होती है. कुश्ती की बात करें तो हरियाणा का ही वर्चस्व कायम रहता है, जबकि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के पहलवान का प्रदर्शन अच्छा होने बाद ओलंपिक और अन्य प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाते हैं?
हरियाणा का यही वर्चस्व टूट रहा था, इसके लिए धरना आंदोलन किया गया. एक सिंडीकेट बन गया था, इसीलिए कुश्ती महासंघ ने नियम बना दिया कि जो जिस राज्य से है वहीं से खेल सकता है. ओलंपिक हो या अन्य कोई खेल ट्रायल सबको देना होगा. ट्रायल पास होने पर ही किसी प्रतियोगिता में खिलाड़ी भाग ले सकेगा. इसी बात का विरोध किया गया, बिना ट्रायल के खेलना चाहते है, दूसरे राज्य के खिलाड़ियों का हक मारना ठीक नहीं है. खेलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए. इसी काकस को तोड़ने का परिणाम है कि जहां हमको कुश्ती से छह मेडल आने थे, वहां एक मेडल आया है.

– सुशील कुमार जैसे खिलाड़ी हत्या कर रहे है. इसको आप कैसे देखते है?
सुशील कुमार एक अच्छे पहलवान थे. उन्होंने ओलंपिक में गोल्ड और सिल्वर दोनों जीते है. उनको देख कर नए बच्चे कुश्ती की तरफ प्रेरित हो रहे थे. वे बेहद अनुशासन का पालन करने वाले खिलाड़ी है. शायद सफलता सिर पर चढ़ जाती है, उस स्थिति में ऐसा हो जाता है.

– सांई के केंद्रों में अब पहले जैसी सुविधाएं और प्रशिक्षक नही है. इंदौर भी कुश्ती में सांई का सेंटर है, लेकिन ट्रेनी वैसे नहीं है, इसका क्या कारण है?
सांई के सेंटरों पर रिवाइज की जरूरत है. वैसा अचीवमेंट नहीं आ रहा है, जैसा आना चाहिए. अच्छी व्यवस्था के हम प्रयास कर रहे है.

 

– महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश भी कुश्ती के गढ़ है, लेकिन हरियाणा के मुकाबले यहां के पहलवानों को ओलंपिक में स्थान नहीं मिलता है ?
खेलों में राजनीति नहीं होना चाहिए. खेल के बाहर राजनीति हो. खेले जो काबिल है उसको मौका देना चाहिए. हम भी प्रयास कर रहे है. इसका परिणाम आगे देखने को मिलेगा. हमने नियमों में बहुत बदलाव किया है.

– अपने कहा कि खेलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए. ब्रजभूषण सिंह जो संसद है और खेल से कोई वास्ता नहीं है?
देखिए मंैने खेलों में राजनीति नहीं होने का कहा है. किसी नेता के किसी संस्था का कुछ बनने पर नहीं. मेरा आशय खिलाड़ियों के साथ होने वाले भेद भाव से है, जो काबिल नहीं है और खेलने भेजा जाता है, उसको लेकर मैंने कहा कि खेल में राजनीति नहीं हो और खिलाड़ी काबिल होने पर राजनीति का शिकार नहीं बने.

– इस शहर के खिलाड़ी शंकर लक्ष्मण ने सिर पर बॉल रोकी थी. मीर रंजन नेगी को शासन हॉकी के लिए जमीन नहीं दे रही है. खिलाड़ी कब तक संघर्ष करते रहेंगे?
इसी राजनीति को हटाने का मैं बोल रहा हूं. जो हमारे पारंपरिक खेल है उनके लिए सुविधाएं देना चाहिए. हॉकी के लिए टर्फ उपलब्ध करवाएं. हमारे पारंपरिक खेल को बढ़ावा देना होगा, तब ही हम खेल में उपर आ पाएंगे.

– कुश्ती में इंदौर सांई का सेंटर है, लेकिन कुछ सुविधाएं नहीं है. क्या कुश्ती महासंघ सुविधा देगा?
इंदौर कुश्ती के मल्हार आश्रम सांई का सेंटर है. हमने वहां अच्छा प्रशिक्षक और विशेष मेट देने की बात की है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी प्रदेश कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष है. उनसे चर्चा कर उज्जैन, इंदौर और आस पास के नए खिलाड़ियों के लिए एक एकेडमी खोलने जा रहे हैं. यहां के नए बच्चे ओलंपिक में हिस्सा लें.

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