प्रदेश के सभी विकासखण्ड के एक गांव को ‘बरसाना’ के रूप में किया जायेगा विकसित: यादव

 

 

इंदौर, 25 अगस्त (वार्ता) : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश के सभी विकासखण्डों में एक गांव को चयनित कर बरसाना गांव के रूप में विकसित किया जायेगा। इन गाँवों के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों और सिद्धांतों का प्रसार जन-जन तक पहुंचाया जायेगा।

डॉ यादव आज यहां भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर ‘हर बालक कृष्ण-हर माँ यशोदा’ की थीम पर आयोजित देश में अपने तरह के पहले एवं अनूठे कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस धर्ममय एवं ऐतिहासिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उपस्थित बाल-गोपालों और यशोदा माताओं का पुष्प-वर्षा कर अभिनंदन किया। इस अनूठे कार्यक्रम में 5 हजार से अधिक बच्चे बाल-गोपाल और इतनी ही माताएं मैया यशोदा के रूप में मौजूद थी। कार्यक्रम स्थल पूरी तरह आलौकिक अनुभूति से सराबोर था। कार्यक्रम स्थल को भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं से चित्रित कर सजाया गया था। डॉ यादव ने उपस्थित बाल-गोपालों को गोद में लेकर स्नेहपूर्वक दुलारा। महोत्सव में मटकी फोड़ का कार्यक्रम भी हुआ। उन्होंने बाल-गोपालों को प्रसाद के रूप में माखन-मिश्री भी खिलाई। बाल-गोपालों को कृष्ण जन्माष्टमी के उपहार भी वितरित किए गये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसाना गांव में जहां एक ओर प्राचीन संस्कृति को पुष्पित और पल्लवित किया जायेगा वहीं दूसरी ओर जैविक खेती और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा। इन गांवों में विकास की नई दिशा तय की जायेगी। ग्रामीणों में मानवता, सामाजिक, सांस्कृतिक एकता के जन जागरण का प्रसार कर एक ऐसा समाज तैयार किया जायेगा, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के आदर्श और सिद्धांत दिखाई दें। डॉ यादव ने कहा कि प्रदेश के हर एक नगरीय निकाय में गीता भवन केन्द्र भी स्थापित किये जाएंगे।

डॉ यादव ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र और उनसे जुड़ी लीलाओं और प्रसंगों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंनें कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र से सीख लेकर हमें उनके आदर्शों और सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात करना चाहिये। भगवान श्रीकृष्ण कोमलता, धैर्य, करूणा और प्रेम की प्रतिमूर्ति है। वे मानव जाति की रक्षा के प्रतीक भी हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में मानव जाति के कल्याण और धर्म की स्थापना के लिये अनेक लीलाएं भी की हैं। उन्होंने प्रकृति से प्रेम करना सिखाया है। ग्रामीण संस्कृति को बढ़ावा दिया है। माखन, दूध, दही को स्वास्थ्य रक्षक के रूप में प्रतिष्ठित किया है। उनका जीवन ग्रामीण संस्कृति को प्रोत्साहन देने का काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों और सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने के लिये हमने हर विकासखण्ड के एक गाँव को चयनित कर ‘बरसाना’ गाँव के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। साथ ही नगरीय क्षेत्रों में गीता भवन केन्द्र भी स्थापित किये जाएंगे। उन्होंने आह्वान किया कि ‘हर बालक कृष्ण-हर माता यशोदा’ के रूप में अपना जीवन बनायें। माँ यशोदा ममत्व की प्रतिमूर्ति है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अब हर तीज, त्यौहार और पर्व पूर्ण हर्षोल्लास और उत्साह के साथ आयोजित किये जाएंगे। समाज का हर वर्ग सभी तीज, त्यौहार और पर्व आनंद और उत्साह के साथ मनायें।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित भजन ‘गोविंदा आला-रे-आला, जरा मटकी संभाल बृजबाला’ सुनाया। इस भजन पर उपस्थित श्रोताओं ने स्वर से स्वर मिलाकर पूरे कार्यक्रम को धर्ममय कर दिया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध बांसुरी वादक बल्लू जी के बांसुरी वादन ने और माधवास बैंड की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में आलौकिक अनुभूति कराई।

डॉ यादव ने ‘हाथी घोड़ा पालकी-जय कन्हैया लाल की’ के जयकारों से पूरे कार्यक्रम स्थल को उपस्थित बाल-गोपालों और यशोदा माताओं के स्वर के साथ गुंजायमान कर दिया। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक उषा ठाकुर, मालिनी गौड़, महेंद्र हार्डिया, मनोज पटेल, गोलू शुक्ला तथा मधु वर्मा, अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष सावन सोनकर, पूर्व विधायक गोपी नेमा, सुदर्शन गुप्ता तथा संजय शुक्ला, गौरव रणदीवे सहित अधिकारी एवं बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी जन उपस्थित रहे।

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