उज्जैन: महाकाल की नगरी में सप्तसागरों का बड़ा महत्व है. इनका वर्णन स्कंद पुराण से लेकर अन्य शास्त्रों में भी आता है महाकुंभ के दौरान तो सप्तसागरों का पूजन अर्चन संत समुदाय द्वारा किया ही जाता है. 84 महादेव के साथ ही सप्तसागरों के दर्शन पूजन स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ बाहरी आगंतुको द्वारा भी किए जाते हैं. बावजूद इसके जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते सप्तसागरों की दुर्दशा हो रही है.
अफसरो के निर्देश ताक पर
सामाजिक सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सप्तसागरों की दुर्दशा सुधारने के लिए मांग उठाई गई, यही नहीं संभागायुक्त से लेकर कई कलेक्टरों ने सप्तसागरों को पुनर्जीवित करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए, बावजूद इसके सभी आदेश फाइलों में दब कर रह गए हालत यह है कि सप्तसागरों में गंदगी की भरमार है. मछलियां मर रही है. श्रद्धालु और दर्शनार्थी आस्था के चलते आते तो है और जिम्मेदारों को कोसकर चले जाते हैं.
यह है अवन्तिका के सप्तसागर
स्कंदपुराण के अवंतिखंड में सप्त सागरों का उल्लेख आता है. महाकाल मंदिर के पीछे स्थित रुद्र सागर, बुधवारिया में स्थित गोवर्धन सागर, उंडासा गांव में स्थित रत्नाकर सागर, योगेश्वर टेकरी के पास क्षीरसागर, इंदिरानगर में पुरुषोत्तम सागर, भगतसिंह मार्ग पर पुष्कर सागर और अंकपात क्षेत्र में विष्णु सागर का उल्लेख हैं.