नयी दिल्ली 22 अगस्त (वार्ता) भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास गेमचेंजर्स अल्टीमेट फ्रिसबी के जरिए लैंगिक समानता और महिलाओं के नेतृत्व को आगे बढाने की एक पहल है। फ्रिसबी एक प्लास्टिक का चक्र (डिस्क) होता है। डिस्क को फेंक कर एक खिलाड़ी से दूसरे खिलाड़ी के पास भेजा जाता है।
राष्ट्रीय राजधानी, गुवाहाटी, हैदराबाद और चेन्नई में इस खेल की शुरुआत 19 से 24 अगस्त तक होगी और 26 से 31 अगस्त तक मुंबई में जारी रहेगी और इसके जरिए साल भर में इन क्षेत्रों के शहरी और ग्रामीण समुदायों की 100 महिला प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जायेगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मिश्रित लिंग खेल के माध्यम से युवा महिलाओं की नेतृत्व कुशलता के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना है।
अल्टीमेट फ्रिसबी एक स्व-अधिकृत खेल है, जिसमें खिलाड़ियों को एक-दूसरे को नियमों के प्रति जवाबदेह रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है (जिसमें शारीरिक संपर्क न करना भी शामिल है)। यदि और जब कोई त्रुटि, गलती या दुर्घटना होती है, तो खिलाड़ी खेल को रोक देते हैं, और एक-दूसरे के साथ चर्चा करते हैं कि क्या हुआ। एक बार संघर्ष का समाधान हो जाने के बाद, खिलाड़ियों को आगे बढ़ते हुए अपनी गलती को सुधारने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। मैदान पर संघर्ष समाधान सीखकर, खिलाड़ी इन प्रथाओं को कार्यस्थल पर या अपने समुदाय में अपने दैनिक पारस्परिक संघर्षों में ला सकते हैं।
अल्टीमेट फ्रिसबी एक मिश्रित लिंग वाला खेल है, जिसमें महिलाओं और पुरुषों को ज़्यादातर खेलों की तरह अलग-अलग खेलने के बजाय एक साथ प्रतिस्पर्धा करने का विकल्प दिया जाता है। भारत में, लिंग इस बात में एक प्रमुख भूमिका निभाता है कि महिलाएँ और पुरुष समाज और एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं। मिश्रित लिंग वाली टीम में खेलना उन कुछ क्षेत्रों में से एक है जहाँ दो लिंगों को एक दूसरे के साथ बातचीत करने और एक समान लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
कार्यक्रम की शुरुआत शैक्षणिक संस्थानों और खेल परिसरों में आयोजित कोच विकास कार्यशालाओं और समान-लिंग प्रशिक्षण सत्रों से होगी। इसका प्रशिक्षण व्यक्तिगत और वर्चुअल दोनों माध्यम से दिया जायेगा। इस कार्यक्रम का लक्ष्य नेतृत्व की भूमिका निभाने वाले कोचों में 40 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करना और कार्यक्रम के 30 प्रतिशत पूर्व छात्रों को लैंगिक समानता की पहल में सक्रिय रूप से योगदान देना शामिल है। इस पहल में पुरुष-सहयोगी कार्यशालाएँ भी शामिल हैं, जो खेलों में लैंगिक समानता के लिए सहायक वातावरण को बढ़ावा देंगी और कोर्ट के अंदर और उसके बाहर समावेशन की संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद करेंगी।