अहिल्या पथ सड़क पर भ्रष्टाचार और विवाद का साया

सड़क के दोनों ओर एक सा मापदंड नहीं
डेढ़ सौ कॉलोनियों के गेट सड़क से सटे है
50 प्रतिशत प्लॉट का आईडीए को नुकसान

इंदौर: आईडीए की अहिल्या पथ सड़क पर भ्रष्टाचार का साया गहरा गया है. इस कारण उक्त सड़क अब विवादों में फंसती नजर आ रही है. योजना घोषित होने के साथ सड़क किनारे के दोनों ओर एक जैसा मापदंड नहीं अपनाया गया है. इस सड़क के पास में डेढ़ सौ से ज्यादा कॉलोनियों के नक्शे टीएनसीपी पास कर चुका है. उक्त कॉलोनियों के कारण आईडीए को सड़क किनारे के प्लॉट में 50 प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान हो रहा है.

आईडीए की पश्चिम क्षेत्र में 75 मीटर चौड़ी और 15 किलोमीटर लंबी अहिल्या पथ सड़क कहीं खटाई में नहीं पढ़ जाएं! आईडीए का यह मेगा प्रोजेक्ट है, जिसमें आठ गांव की करीब 950 हेक्टेयर भूमि पर सड़क बनाने की योजना लागू की गई है. उक्त सड़क के दोनों तरफ आईडीए को 75 मीटर के बाद 300-300 सौ मीटर जगह निवेश से आवासीय, फिनटेक सिटी से व्यवसायिक उपयोग के लिए आरक्षित की गई है.

उक्त जगह इस सड़क के लिए फिलहाल नहीं मिल रही है. कहीं दो सौ तो, कहीं पांच सौ मीटर का अलायमेंट करने का बताया जा रहा है. कही कही तो सात सौ मीटर तक कवर किए जाने के जानकारी मिल रही है. आम तौर पर आईडीए जब भी कोई सड़क या योजना बनाता है तो उसके दोनो ओर एक समान मापदंड रख कर जमीन अधिग्रहित अथवा अनुबंध करता है. अहिल्या पथ सड़क में एक समान मापदंड नहीं अपनाने के कारण ही भ्रष्टाचार की चर्चा हो रही है. वहीं जिन जमीनों के नक्शे पास हो गए है या अनुमतियां हो गई है, उनकी अनुमति निरस्त करने का दावा भले ही प्रशासन करता हो, लेकिन जमीन मालिक कोर्ट में जाएंगे और योजना अधूरी रहने के साथ लेट होगी, यह तय नजर आ रहा है.

भ्रष्टाचार और विवाद का कारण
अहिल्या पथ योजना का नक्शा घोषित होने के पहले जमीन माफियाओं तक पहुंच गया. यह योजना की गोपनीयता पर सबसे बड़ा सवाल है? इस सवाल के पीछे भ्रष्टाचार होने की बू साफ दिखाई दे रही है. इसके पीछे आईडीए के निजी तौर पर नियुक्त मयंक जगवानी, सीईओ रामप्रकाश अहिरवार और प्लानर रचना बोचड़े की भूमिका संदिग्ध है. विवाद का कारण यह है कि संभायायुक्त दीपकसिंह और कलेक्टर ने योजना घोषित होने के छह माह पहले टीएनसीपी द्वारा जमीनों की एनओसी को निरस्त करने का कह दिया है. अब जमीनों की टीएनसीपी द्वारा पूर्व जारी कई कॉलोनियों के अनुमति और एनओसी लेने वाले क्या नक्शा निरस्त होने पर चुप बैठेंगे? कतई नहीं. वे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे, यह तय है.

डेढ़ सौ कॉलोनियों के नक्शे और गेट सड़क से सटे हुए
अहिल्या पथ सड़क योजना के आठ गांव में करीब डेढ़ सौ कॉलोनियों के नक्शे टीएनसीपी से पास हो चुके है. ज्यादातर कॉलोनियों के इंट्री गेट सड़क के सामने ही है. इस कारण आईडीए को बड़ा नुकसान हो रहा है. इस नुकसान की भरपाई आईडीए बची जमीन के प्लॉटों की दर ऊंची करके करेगा, ऐसी चर्चा है. वहीं आईडीए को सड़क के दोनों ओर तीन-तीन सौ मीटर की जगह में एक तरफ विकसित प्लॉटों का सिर्फ दस प्रतिशत प्लॉट ही मिलने की संभावना है. कुल विकसित प्लॉटों का बीस प्रतिशत मिलता है आईडीए को. इस प्रकार प्लॉट के मामले में सीधा 50 प्रतिशत प्लॉट का नुकसान होगा. बताया जाता है कि सड़क के एक तरफ पूरी आठ गांव की जमीन का उपयोग मास्टर प्लान में कृषि क्षेत्र ही है. एक तरफ डेढ़ सौ कॉलोनियों के बाद आधे प्लॉट नहीं मिल रहे है.

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