जूनियर डाक्टरो के हड़ताल में जाने से अस्पताल की व्यवस्था चरमराई

उपचार के लिये भटक रहे मरीज, शहर में निकाला कैंडल मार्च

नवभारत न्यूज

रीवा, 17 अगस्त, संभाग के सबसे बड़े अस्पताल संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में इन दिनों भारी अव्यवस्था देखने को मिल रही है. जहां इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने वाले लोग शनिवार को भी काफी परेशान नजर आए. रीवा में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के जूनियर डॉक्टर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कल से हड़ताल पर चले गए. शनिवार की शाम जूनियर डाक्टरो ने कैंडल मार्च निकाला और नारेबाजी करते हुए न्याय की गुहार लगाई.

एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष आशय द्विवेदी ने बताया कि हमने गुरुवार से ओपीडी सेवा देनी बंद कर दी. लेकिन मरीजों को एमरजेंसी सर्विस देते रहे ताकि गंभीर मरीजों को कोई परेशानी ना हो. जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल की वजह से संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल संजय गांधी अस्पताल में मरीजों की समस्या और बढ़ गई. किसी मरीज को डॉक्टर नहीं मिला तो किसी को मरीज भर्ती कराने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिला. अस्पताल में निशुल्क दवाई केन्द्र बंद रहा. जिस वजह से कई मरीजों को दवाई भी नहीं मिल पाई. इधर हाईकोर्ट ने पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए हड़ताल खत्म करने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद हड़ताल खत्म करने की कवायद शुरू हुई.

दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ऑन ड्यूटी पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और फिर हत्या की गई थी. जिसके विरोध में डॉक्टर्स हड़ताल पर उतर आए. जूनियर डॉक्टरों का कहना था कि वे लंबे समय से डॉक्टर प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर मांग कर रहे हैं. डॉक्टरों की सुरक्षा, वेतन-भत्ते, कार्य के घंटे, अस्पतालों में महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षा आदि कई मांगों पर राज्य सरकार कोई विचार नहीं कर रही है. जिस वजह से मजबूर होकर हड़ताल करनी पड़ी.

दो घंटे नही मिला स्टे्रचर

अस्पताल पहुंचे दीपक चतुर्वेदी ने बताया कि विधुई गांव से महिला पेशेंट को लेकर अस्पताल आया. दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक इंतजार करता रहा. लेकिन काफी निवेदन करने के बाद भी कोई भी मरीज को देखने तक नहीं आया. मैं 2 घंटे के इंतजार के बाद भागकर ऊपर बिल्डिंग में गया. जहां से खुद स्ट्रेचर लेकर नीचे आया. मरीज को वार्ड के भीतर लेकर गया तो पता चला कि अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं.

इलाज के लिये गिड़गिड़ाता रहा लोको पायलट

अस्पताल में भटक रहे संजय राम ने बताया कि लोको पायलट हूं. मैं आज 18247 बिलासपुर-रीवा एक्सप्रेस ट्रेन लेकर आया था. अचानक हमारे ट्रेन के गार्ड के सीने में तेज दर्द हुआ. मैंने स्टेशन मास्टर को जानकारी दी तो उन्होंने एक आपातकालीन वाहन से अस्पताल भिजवाया. अस्पताल पहुंचकर मरीज को अंदर लेकर गए तो कहा गया कि मरीज को नहीं देख पाएंगे. मैंने डॉक्टर साहब से बहुत मिन्नत की पैर पकड़ लिए तब जाकर दो इंजेक्शन लगाए. ढंग से इलाज तक नहीं किया. रीवा में रेलवे का कोई हॉस्पिटल नहीं है. अभी भी मरीज की हालत बहुत ठीक नहीं है.

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