नयी दिल्ली (वार्ता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी निवेश के लिए नियमों और विनियमों को सरल बनाने की घोषणा की थी। इसी घोषणा के अनुसरण में, एक पहल के रूप में, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने दिनांक आज जारी अधिसूचना के माध्यम से विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण साधन) नियम, 2019 में संशोधन किया है।
इन संशोधनों का उद्देश्य सीमा पार शेयर स्वैप को सरल बनाना तथा विदेशी कंपनी इक्विटी उपकरणों के बदले भारतीय कंपनी इक्विटी उपकरणों को जारी करने या स्थानांतरित करने का प्रावधान करना है। इससे विलय, अधिग्रहण तथा अन्य रणनीतिक पहलों के माध्यम से भारतीय कंपनियों के वैश्विक विस्तार में सुविधा होगी। इससे भारतीय कंपनियां नए बाजारों तक पहुंच सकेंगी तथा दुनिया भर में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकेंगी। इसमें एक अन्य अहम बदलाव प्रवासी भारतीय (ओसीआई) स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा गैर-प्रत्यावर्तन आधार पर किए गए डाउनस्ट्रीम निवेशों के उपचार पर और स्पष्टता लाता है, जो इसे प्रवासी भारतीय (एनआरआई) स्वामित्व वाली संस्थाओं के उपचार के साथ तालमेल बिठाता है।
अन्य अधिनियमों तथा कानूनों के साथ संगति सुनिश्चित करने के लिए ‘नियंत्रण’ की परिभाषा को मानकीकृत करना।
देश भर में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए व्हाइट लेबल एटीएम में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को सक्षम बनाना।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा जारी 19 फरवरी, 2019 की अधिसूचना जी.एस.आर. 127 (ई) के साथ ‘स्टार्टअप कंपनी’ की परिभाषा को सुसंगत बनाया गया था। ये संशोधन विदेशी निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। इसके साथ ही, नियमों को सरल बनाने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए निरंतर उपाय किए जा रहे हैं।